क्या हैदराबाद के नाम भाग्यनगर हो जाएगा?
हैदराबाद और भाग्यनगर पर सियासत के बीच जानिए कि इतिहास इस पर क्या कहता है?
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हैदराबाद में इन दिनों चुनावी माहौल गरम है. ग्रेटर हैदराबाद के निकाय चुनाव होने हैं. सभी पार्टियां जीत के लिए जोर-आज़माइश कर रही हैं. भाजपा और AIMIM भी अपने-अपने दांव लगा रही हैं. AIMIM के लिए ओवैसी ब्रदर्स जी-जान से जुटे हैं, तो भाजपा की ओर से UP के CM योगी आदित्यनाथ से लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तक प्रचार कर चुके हैं. योगी आदित्यनाथ ने प्रचार और रोडशो के दौरान हैदराबाद का नाम बदलने की बात कही. इस पर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि ऐसा करना असंभव है. लेकिन इस राजनीतिक बहसबाजी से एक चर्चा शुरु हो गई, वो ये कि हैदराबाद का नाम क्या कभी वाकई भाग्यनगर था? चलिए इसी सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश करते हैं.
क्या है ‘भाग्यनगर’ की कहानी?
ऐसे लोगों की कमी नहीं, जिनका मानना है कि हैदराबाद का नाम पहले भाग्यनगर ही था. भाग्यनगर नाम जोड़ा जाता है भागमती और उसकी प्रेम कहानी से. ऐसा कहते हैं कि चिचलम गांव (वर्तमान याकूतपुरा का इलाका) की रहने वाली भागमती बेहद सुंदर थीं. वो दौर कुतुबशाही शासकों का था. शहजादे कुली कुतुब शाह कवि मिजाज के थे. अक्सर नदी किनारों और बागों में वक्त गुजारा करते थे. ऐसे ही एक दिन मुसी नदी के किनारे कुली कुतुब शाह ने भागमती को देखा.
माना जाता है कि भागमती बंजारा समुदाय से थीं. नाच-गाकर, खेल दिखाकर कबीला पेट भरता था. शहजादे और भागमती के बीच प्रेम हो गया. कुली कुतुब शाह ने तमाम विरोधों के बावजूद भागमती से शादी कर ली. भागमती के गांव और आसपास के इलाके को ‘भागनगर’ या ‘भाग्यनगर’ नाम दिया गया. ऐसा कहा जाता है कि शादी के बाद भागमती ने इस्लाम कुबूल कर लिया था. इसके बाद भागमती का नया नाम रखा गया बेगम हैदर महल. और इन्हीं बेगम हैदर महल के नाम पर शहर को नाम मिला हैदराबाद.
इतिहासकारों की राय क्या है?
गूगल पर आपको भागमती बिरयानी से लेकर भागमती पैलेस तक दिखता है लेकिन नहीं मिलते तो भागमती के प्रमाण. The Lallantop की खबर के मुताबिक दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अमरजीवा लोचन के अनुसार
“वहां एक मंदिर है. भाग्यलक्ष्मी मंदिर. वैसे तो ऐसे उदाहरण नहीं हैं, जिनमें राजा की पत्नी के नाम से मंदिर बना हो. भगवान बुद्ध की मां महामाया के नाम से मंदिर जरूर है, लेकिन इतिहास के तीनों खंडों में पत्नी के नाम पर मंदिर के उल्लेख नहीं मिलते. कई राजाओं की प्रेम कहानियां रही हैं. इनमें कितनी सच्चाई है, कहा नहीं जा सकता.
जब हम लिखित सबूतों पर जाते हैं तो दिक्कत होती है, लेकिन आस्था की बात अलग होती है. हैदराबाद हमेशा से तो हैदराबाद नहीं रहा होगा. बागमती वाला भी एक कॉन्सेप्ट है. नदी के कारण हरियाली थी इस इलाके में. लेकिन बगीचों के नाम पर शहर का नाम रखा गया हो, ऐसा देखा नहीं गया है. हमें वो पता है, जो अंग्रेजों ने लिख दिया. कर्नल टॉड ने क्या लिखा, वो देखा जाता है. लेकिन पुराने किस्से, किवदंतियां भी अपनी जगह हैं. लोगों की भावनाओं को डेट में नहीं बांधा जा सकता. अगर कोई चीज लिखित में नहीं मिली, तो इसका अर्थ ये नहीं कि वो झूठ है. हमें लोगों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए.”
दिल्ली यूनिवर्सिटी के शिवाजी कॉलेज में इतिहास विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर सोनल सिंह ने कहा,
“सवाल ये है कि इतिहास में आप कितना पीछे जाना चाहते हैं. सबसे पुराना नाम क्या होगा, किसे पता है? राही मासूम रज़ा ने अपनी किताब आधा गांव में लिखा है कि चौदहवीं शताब्दी में जब ग्यासुद्दीन तुगलक ने गादीपुर पर हमला किया, तो उस पर फतह हासिल करने के बाद उसका नाम गाजीपुर रख दिया. नाम बदलने से लोग नहीं बदले. बस्तियां वहीं थीं. अगर नाम बदलने से कुछ होता तो पहले के हिंदू अहीर कुम्हार गादीपुरी कहलाते, और बाद के सैयद मुसलमान गाजीपुरी कहलाते.
अरबी का फतेह हिंदी के गढ़ में मिलकर एक ईकाई हो जाता है. अगर अली को गढ़ से, दिलदार को नगर से और फतेह को पुर से अलग कर दिया तो बस्तियां वीरान हो जाएंगी. और ईमाम को अगर बाड़े से अलग कर दिया गया तो फिर मोहर्रम कैसे होगा… 21वीं शताब्दी में अगर कहा जा रहा है कि हमें पुराने नाम पर जाना चाहिए, तो उसे किस दृष्टिकोण से तय किया जा रहा है, उसकी सरहदें कौन तय रहा है, इस पर भी चर्चा होनी चाहिए. क्या हम पूर्व आधुनिक काल में वापिस जा रहे हैं, जहां शासक अपने एकतरफा फैसले के ज़रिये शहरों के नाम रख दिया करते थे.”
Deccan Chronicle की एक खबर के मुताबिक, विख्यात इतिहासकार नरेंद्र लूथर कहते हैं कि भाग्यनगर कभी था ही नहीं. शहर के नाम भागनगर था, जिसका उल्लेख 1591 के आसपास मिलता है. बाद में इसका नाम हैदराबाद किया गया, जिसे आज तक इस्तेमाल किया जाता है.
मिथक या सच्चाई?
तो कोई नहीं जानता कि क्या वाकई हैदराबाद हैदर महल के नाम पर ही रखा गया था? भाग्यनगर की कहानी सच है कि मिथक? भागमती वाकई थी या फिर किस्से कहानियों का महज कोई पात्र थी? क्या शहर को बागों के कारण बागनगर कहा जाता था? सवाल तमाम हैं, लेकिन जवाब इतिहास में इतने गहरे से दफन है कि उसे जानने के लिए किसी टोनी स्टार्क को सचमुच की टाइम मशीन बनानी पड़ेगी.