पश्चिम उत्तर प्रदेश अवैध शराब का बड़ा केंद्र, कैसे बनाई जाती है नकली शराब?
पश्चिम उत्तर प्रदेश अवैध शराब का कितना बड़ा केंद्र है। दैनिक जागरण में 12 जनवरी 2021 को प्रकाशित खबर के अनुसार आप इस बात से समझ सकते हैं कि 6 जनवरी से 11 जनवरी तक आबकारी विभाग ने मेरठ मंडल में अभियान चलाया तो 27 हजार 374 लीटर अवैध शराब बरामद हुई। इस मामले में 868 मुकदमे दर्ज किए गए और 284 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। यही नहीं, जिस सामग्री (लहन) से अवैध शराब बनती है, वो भी 1 लाख 31 हजार 550 किलो पकड़ी गई। इसको नष्ट किया गया और 14 वाहनों को जब्त किया गया।
मुरैना में जहरीली शराब के कारण 20 लोगों की जान चली गई, जबकि चंद रोज़ पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में जहरीली शराब 6 लोगों की मौत का कारण बन गई। ये तो बड़े मामले थे, जो नजरों में चढ़े, कार्रवाई भी हुई, लेकिन कुछ दिनों बाद ही फिर से ऐसी खबरें देखने सुनने में आती हैं। आखिर ये जहरीली शराब क्या होती है? कैसे बिकती है? और क्यों सरकारी तंत्र इस लड़ाई को जीत नहीं पा रहा है? इस खबर में हम आपको यही बातें विस्तार से बताने वाले हैं।
सौजन्य से नई दुनिया |
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कैसे बनाई जाती है नकली शराब?
नकली शराब के खेल को समझने पर पता चला कि नकली शराब माफिया गन्ने का रस, गुड़ जैसे पदार्थों को एक बर्तन में बंद करके 15 से 20 दिनों के लिए जमीन के नीचे दबा देते हैं। इसके बाद जब बर्तन को बाहर निकाला जाता है तो भट्टी पर चढ़ा दिया जाता है। इस बर्तन का मुंह अच्छे से बंद किया जाता है। एक पाइप के जरिए भाप बाहर निकलती है जो द्रव्य के रूप में टपकती है। ये द्रव्य शराब होता है, इसको कच्ची शराब कहा जाता है।
शराब का इस तरह बनाया जाना पूरी तरह प्रतिबंधित है। कई बार जमीन के नीचे दबे बर्तन में सांप, छिपकली या अन्य कोई जीव गिर जाता है। ऐसे में ये शराब जानलेवा हो जाती है। कई बार कच्ची शराब की तीव्रता बढ़ाने के लिए इसे बनाने वाले लोग उसमें यूरिया मिला देते हैं, तो कई बार इथाइल एल्कोहल मिला देते हैं। ऐसे में मिक्सिंग जरा भी इधर उधर हुई तो शराब जानलेवा हो जाती है। इनके अलावा नशा बढ़ाने वाले केमिकल भी इस तरह की शराब में मिलाए जाने की बातें सामने आई हैं।
इथाइल एल्कोहल और मिथाइल एल्कोहल
गौर करने वाली बात ये है कि इथाइल एल्कोहल से नशा होता है लेकिन मिथाइल एल्कोहल विशुद्ध जहर है कैमिकल से जुड़े उद्योगों में इसका इस्तेमाल होता है। रंग, गंध और स्वाद में मिथाइल एल्कोहल बिल्कुल इथाइल एल्कोहल जैसा लगता है लेकिन है नहीं।
कई बार अवैध शराब के धंधे से जुड़े लोग मिथाइल अल्कोहल का इस्तेमाल शराब बनाने में करते हैं. इसमें गर्म पानी और रंग आदि मिलाकर बेच देते हैं। ऐसी स्थिति में शराब जहरीली हो जाती है और पीने वालों की मौत हो सकती है।
नकली शराब की कैसे होती है सप्लाई ?
शराब के व्यापार से जुड़े एक शख्स ने नाम नहीं छिपाने की शर्त पर बताया कि बोतलें, ढक्कन, रैपर, सील, सब कुछ नकली बनाई जाती है। शराब इसमें भरी जाती है और फिर गावों में सस्ते दामों में बेच दी जाती है। कई बार ठेकों पर काम करने वाले सेल्समैन लालच में बेच देते हैं, कई बार परचून और चाय आदि की दुकानों पर शराब को बेच दिया जाता है। सील वाले ढक्कन और रैपर आदि को देख कर किसी को शराब के नकली होने का शक नहीं होता।
कहां होता है नकली शराब का कारोबार
शराब को जब जमीन से निकाल कर भट्टी पर चढ़ाया जाता है, तब इससे बेहद तेज गंध निकलती है जो पूरे गांव में फैल जाती है। ये गंध आसानी से अवैध शराब के कारोबारियों को पकड़वा सकती है। इसलिए अवैध शराब बनाने वाले सुनसान इलाकों को अपने काम के लिए चुनते हैं। जंगल, बीहड़ और खादर के इलाके इस काम के लिए पनाहगार बनते हैं। यमुना खादर के क्षेत्रों में अवैध शराब की भट्टियां अक्सर सुलगती हैं।