कैसे संवरेगा बच्चों का भविष्य ? ग्रामीण आँचल में ऑनलाइन क्लास का स्तर शून्य।
कैसे संवरेगा बच्चों का भविष्य ?
अभिभावकों के पास पर्याप्त संसाधन (लेपटोप, फोननेटवर्क समस्या) ना होने के कारण ग्रामीण आँचल में ऑनलाइन क्लास का स्तर शून्य।
- पिछले डेढ़ वर्ष से ग्रामीण आँचल के बच्चें शिक्षा से वंचित है
- सरकार से अपील एक नजर ग्रामीण आँचल के मासूम बच्चों के भविष्य पर भी दे - शिक्षाविद व समाजसेवी मोहित नागर
सम्मानित साथियों भारत की लगभग 60 % आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है। कोरोना काल को चलते हुए लगभग डेढ़ साल हो गया है। आज भी कोरोना की स्थिति बनी हुई है। पिछले डेढ़ साल से सभी स्कूल बंद है। बच्चें घर पर ही है। सरकार के आदेशानुसार सभी जगह ऑनलाईन कक्षाएं जारी है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों के पास पर्याप्त संसाधन- लेपटोप, फोन व नेटवर्क समस्या के कारण वो आॅनलाईन कक्षाओं से वंचित है। वो कक्षाएं नही ले पा रहे है। जिससे वो लगभग पिछले डेढ़ वर्ष से शिक्षा से वंचित है। ओर कक्षाएं ना ले पाने के कारण उनका शिक्षा स्तर गिरा है। बच्चें की मानसिकता पर भी असर पडा़ है। इस समस्या से काफी अभिभावक परेशान है। अब आप समझ सकते है कि भारत का लगभग 60% बच्चा शिक्षा से वंचित है। ओर शहरी क्षेत्र में भी बहुत बच्चें कक्षाएं नही ले पा रहे है। तो आज के दौर में किसी भी देश का अति महत्वपूर्ण विषय शिक्षा पर ही काम ना हो उस देश का उज्जवल भविष्य बच्चा ही शिक्षा ग्रहण नही कर पा रहा हो तो फिर वह देश कैसे तरक्की कर पायेगा। इस तरह कैसे बच्चों का भविष्य संवरेगा?
मेरी भारत सरकार से अपील है। ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों की रूकी शिक्षा व्यवस्था को किस तरह से पटरी पर लाया जाये। वो कैसै शिक्षा ग्रहण करें। इस विषय पर चिंतन करते हुए, इसका समाधान करें। क्योकि इस समय बच्चों का भविष्य अधर में है। बहुत लम्बा समय हो चुका है। बच्चें शिक्षा से दूर है। कोरोना स्थिति का कुछ नही पता कब तक यह बनी रहे। इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों के भविष्य की चिंता करते हुए उनके लिए उचित सुविधा दी जाये। जिससे सभी बच्चें कक्षाएं ले सके।


