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लोनी पूर्व चेयरमैन मनोज धामा समेत 3 आरोपितों ने किया सरेंडर।


लोनी पूर्व चेयरमैन मनोज धामा समेत 3 आरोपितों ने किया सरेंडर।

Ghaziabad News
सामूहिक दुष्कर्म के मामले में करीब डेढ़ साल से फरार चल रहे लोनी नगर पालिका पूर्व चेयरमैन व अन्य आरोपितों ने चल संपत्ति की कुर्की के आदेश होते ही मनोज धामा समेत तीन आरोपितों ने शुक्रवार को एसीजेएम-प्रथम की अदालत में सरेंडर कर दिया। यह सभी सामूहिक दुष्कर्म के मामले में करीब डेढ़ साल से फरार थे। 

अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता पूर्व बार सचिव परविदर नागर ने बताया कि शुक्रवार को मनोज धामा, शोभित मलिक व दीपक धामा ने सरेंडर किया। तीनों ने अधिवक्ता के माध्यम से अंतरिम जमानत के लिए अर्जी दायर की, जिसे पहले एसीजेएम-प्रथम और फिर जिला जज की अदालत ने खारिज कर किया। 

बता दे कि इसी मामले में तीन अन्य आरोपित सत्येंद्र चौहान, राहुल धामा और विकास पंवार ने बुधवार को अदालत में सरेंडर किया था। पिछले दिनों पीड़िता ने हाई कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर आरोपितों की गिरफ्तारी की गुहार लगाई गई थी। 13 जुलाई को हाई कोर्ट ने निचली अदालत को एक साल में मामला निस्तारित करने के आदेश दिए थे। 
एसीजेएम-प्रथम की अदालत ने पुलिस से जांच रिपोर्ट तलब की थी जिस पर लोनी बार्डर थाना पुलिस ने रिपोर्ट पेश कर अवगत कराया कि मनोज धामा समेत अन्य आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए संभावित ठिकानों पर दबिश दी गई, लेकिन सभी आरोपित फरवरी 2020 से फरार हैं। इस पर अदालत ने सभी आरोपितों के खिलाफ पहले कुर्की की उद्घोषणा और गत सोमवार को कुर्की के आदेश दिए थे।

जाने क्या था मामला।

लोनी बार्डर थानाक्षेत्र में रहने वाली एक महिला ने वर्ष 2019 में इंद्रजीत नामक शख्स के खिलाफ दुष्कर्म की एफआइआर दर्ज कराई थी। महिला का आरोप था कि इंद्रजीत को पूर्व चेयरमैन मनोज धामा का संरक्षण प्राप्त है। फरवरी 2019 में पीड़िता आरोपित की गिरफ्तारी के संबंध में जानकारी लेने के लिए पुलिस अधिकारियों के पास गई थी। 

यह जानकारी मिलने पर लोनी नगरपालिका के पूर्व चेयरमैन मनोज धामा, शोभित मलिक, दीपक धामा, सत्येंद्र चौहान, विकास पंवार और राहुल धामा उसी दिन महिला के घर पहुंचे और शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया था। बात न मानने पर मनोज धामा ने सभी साथियों के साथ मिलकर सामूहिक दुष्कर्म किया था। मामले में अदालत के आदेश पर छह आरोपितों के खिलाफ एफआइआर दर्ज हुई थी। पुलिस ने इस मामले में फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी जिसे बाद में अदालत ने निरस्त करते हुए आरोपितों के खिलाफ परिवाद दर्ज किया था।
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