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कानपुर, लखनऊ, गोरखपुर औद्योगिक प्राधिकरण क्षेत्र में पंचायत और नगर निगम का गठन बरकरार तो गौतमबुद्धनगर  में क्यों नहीं ?
चुनाव कराने के लिए मुख्यमंत्री को लिखा पत्र !
        - कर्मवीर नागर प्रमुख
कानपुर, लखनऊ, गोरखपुर औद्योगिक प्राधिकरण क्षेत्र में पंचायत और नगर निगम का गठन बरकरार तो गौतमबुद्धनगर  में क्यों नहीं ?  चुनाव कराने के लिए मुख्यमंत्री को लिखा पत्र !          - कर्मवीर नागर प्रमुख

    सन 2015 में गौतमबुद्धनगर के 207 गांवों में तत्कालीन प्रमुख सचिव पंचायती राज श्री चंचल तिवारी द्वारा जारी पत्र के अनुपालन में पंचायतों का गठन न कराए जाने के बाद से गौतमबुद्ध नगर में पंचायत चुनावों की मांग समय-समय पर उठती रही है ! इस संबंध में ग्राम मिलक लच्छी निवासी श्रीमती सुरेश नागर (पूर्व ब्लाक प्रमुख) द्वारा चुनाव कराए जाने की मांग के संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार को सैकड़ों बार पत्राचार किया गया है !
कानपुर, लखनऊ, गोरखपुर औद्योगिक प्राधिकरण क्षेत्र में पंचायत और नगर निगम का गठन बरकरार तो गौतमबुद्धनगर  में क्यों नहीं ?  चुनाव कराने के लिए मुख्यमंत्री को लिखा पत्र !          - कर्मवीर नागर प्रमुख

पंचायतों के पुनर्गठन अथवा  विकल्प के तौर पर नगर निगम के गठन  की मांग का मुख्य आधार उत्तर प्रदेश के लखनऊ, कानपुर और गोरखपुर में भी गौतमबुद्ध नगर की तरह औद्योगिक प्राधिकरण का होना है !
कानपुर, लखनऊ, गोरखपुर औद्योगिक प्राधिकरण क्षेत्र में पंचायत और नगर निगम का गठन बरकरार तो गौतमबुद्धनगर  में क्यों नहीं ?  चुनाव कराने के लिए मुख्यमंत्री को लिखा पत्र !          - कर्मवीर नागर प्रमुख


    उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल भाग में स्थित कई औद्योगिक प्राधिकरण क्षेत्रों के गांवों में पंचायतों का गठन और शहरी क्षेत्र में नगर निगम का गठन आज भी बरकरार है ! जबकि  गौतमबुद्धनगर के गांवों में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल द्वारा जारी औद्योगिक नगरीय क्षेत्र की अधिसूचना के आधार पर ग्राम पंचायतों का पुनर्गठन समाप्त कर दिया गया ! इस तरह की अधिसूचना के द्वारा एक ही प्रदेश के अलग-अलग जिलों में स्थित औद्योगिक प्राधिकरणों में पंचायत गठन एवं नगर निगम गठन के संबंध में पृथक पृथक कानूनी व्यवस्था किया जाना कानूनी भेदभाव को दर्शाता है !
कानपुर, लखनऊ, गोरखपुर औद्योगिक प्राधिकरण क्षेत्र में पंचायत और नगर निगम का गठन बरकरार तो गौतमबुद्धनगर  में क्यों नहीं ?  चुनाव कराने के लिए मुख्यमंत्री को लिखा पत्र !          - कर्मवीर नागर प्रमुख


  इस बात से कतई इंकार नहीं किया जा सकता कि उत्तर प्रदेश औद्योगिक क्षेत्र विकास अधिनियम 1976 की धारा- 12 ए के प्राविधानों के अनुसार इंडस्ट्रियल टाउनशिप में पंचायतों के गठन का प्राविधान नही है ! इसी एक्ट के तहत उत्तर प्रदेश के राज्यपाल द्वारा संविधान की धारा- 243 क्यू की क्लॉज ( ! ) में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए 24 दिसंबर 2001 को अधिसूचना जारी करके पंचायतों का गठन समाप्त करने के आदेश  द्वारा जारी किए थे ! हालांकि पंचायतों के गठन को समाप्त किए जाने के पीछे राजनीतिक षड्यंत्र की बू आती है ! परिस्थितियां जो भी रही हो परंतु कानून में भेदभाव करके लखनऊ, कानपुर और गोरखपुर औद्योगिक प्राधिकरण क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्र में पंचायतों का गठन और शहरी क्षेत्र में नगर निगम का गठन किया जाना और जनपद गौतमबुध नगर स्थित नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना प्राधिकरण क्षेत्र के गांवों को इंडस्ट्रियल टाउनशिप घोषित करके ग्राम पंचायतों का पुनर्गठन समाप्त करना व शहरी क्षेत्र में नगर निगम का गठन न किया जाना सरकार द्वारा किए गए भेदभाव का स्पष्ट प्रमाण है ! जो कि गौतमबुद्ध नगर की जनता के साथ बहुत बड़ा अन्याय है !
कानपुर, लखनऊ, गोरखपुर औद्योगिक प्राधिकरण क्षेत्र में पंचायत और नगर निगम का गठन बरकरार तो गौतमबुद्धनगर  में क्यों नहीं ?  चुनाव कराने के लिए मुख्यमंत्री को लिखा पत्र !          - कर्मवीर नागर प्रमुख

       जब कानपुर, लखनऊ और गोरखपुर में भी जनपद गौतमबुद्धनगर स्थित तीनों प्राधिकरणों की भांति औद्योगिक प्राधिकरण स्थित हैं तब केवल नोएडा, ग्रेटर नोएडा वह यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण क्षेत्र में स्पेसिफिकेशन करा कर गांवों को औद्योगिक नगरीय क्षेत्र घोषित किया जाना एक ही प्रदेश के अलग-अलग जनपदों में किए गए भेदभाव का स्पष्ट प्रमाण है !

    24 जून 2001 को जनपद गौतमबुध नगर में पंचायतों के गठन पर रोक लगाए जाने संबंधित अध्यादेश गौतमबुद्ध नगर की ग्रामीण जनता के लिए पूरी तरह से अभिशाप साबित हुआ है! इस अध्यादेश की वजह से गांवों को इंडस्ट्रियल टाउनशिप घोषित किए जाने के बाद नए भूमि अधिग्रहण बिल के अनुसार किसानों को मिलने वाले मुआवजे की धनराशि ग्रामीण क्षेत्र में  सर्किल रेट की 4 गुना के स्थान पर दोगुना ही प्राप्त हो सकेगी ! जिससे किसानों को अत्यधिक आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है ! पंचायतों का गठन समाप्त होने के बाद गांव का सुनियोजित विकास बिल्कुल बंद हो गया है! प्राधिकरण द्वारा गांवों में कोई सरकारी नोडल अधिकारी अथवा कर्मचारी नियुक्त न किए जाने की वजह से गांव के आम आदमी को राशन कार्ड, वृद्धा, विधवा और अपंग पेंशन, जन्म- मृत्यु प्रमाण पत्र जैसे कार्यों के लिए सरकारी कार्यालय में भटकना पड़ रहा है ! जबकि पंचायत राज व्यवस्था में ग्राम प्रधान स्तर के पंचायत प्रतिनिधि भी गांव के बाशिंदों की मदद के लिए हर समय तैयार खड़े रहते थे ! कहने को तो संविधान की धारा 243 क्यू के तहत इंडस्ट्रियल टाउनशिप घोषित गांवों में समस्त म्यूनिसिपल सेवाएं देने का उत्तरदायित्व औद्योगिक प्राधिकरण का है लेकिन धरातल की सच्चाई यह है कि प्राधिकरण के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को प्राधिकरण से संबंधित कार्यों से ही फुर्सत नहीं है तब उनसे केंद्र एवं राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के उत्तरदायित्व के निर्वहन की उम्मीद करना संभव नहीं है ! जैसा कि पिछले दिनों माननीय प्रधानमंत्री महोदय की महत्वाकांक्षी योजना  स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालयों के निर्माण से प्राधिकरण के द्वारा म्युनिसिपल  सेवाएं देने की पोल खुल गई है ! मुख्यमंत्री के पोर्टल पर की गई शिकायत के प्रत्युत्तर में  प्राधिकरण अधिकारियों ने यह तक जवाब दे दिया कि निजी घरों में शौचालय बनाने जैसी योजना प्राधिकरण में नहीं है ! जब इस संबंध में माननीय प्रधानमंत्री एवं माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश को अवगत कराया गया तब केवल औपचारिकता पूरी करने के लिए गांवों में कुछ शौचालय बनवाने के लिए आधा अधूरा कार्य किया गया! पात्रों का चयन करके उन्हें शौचालय निर्माण हेतु एक किस्त जारी करने के वर्षों बाद भी दूसरी किस्त अवमुक्त नहीं की गई है ! जबकि उन्होंने अपने शौचालयों का भी निर्माण पूरा कर लिया है ! ग्राम मिलक लच्छी में शौचालय निर्माण हेतु चयन किए गए पात्र इसका साक्षात उदाहरण है ! यह उदाहरण तो एक बानगी मात्र है ! आमतौर पर केंद्र एवं राज्य सरकार की किसी भी जनकल्याणकारी योजनाओं के प्रति तीनों प्राधिकरण कतई संजीदा नहीं है! ऐसे में सरकारों की कल्याणकारी योजनाओं से वंचित लोगों में सरकार के प्रति नकारात्मक संदेश जाना स्वाभाविक सी बात है ! जबकि हर सरकार अपनी तरफ से जनहित में अच्छा करने का प्रयास करती है !

इसलिए उत्तर प्रदेश सरकार के संजीदा मुख्यमंत्री जी से गौतम बुध नगर जनपद की इंडस्ट्रियल टाउनशिप घोषित क्षेत्र में पंचायत एवं नगर निगम के गठन के लिए कानून सम्मत तार्किक बिंदुओं का उल्लेख करते हुए अनुरोध किया गया है ! साथ ही साथ माननीय मुख्यमंत्री जी को इन बातों से भी अवगत कराया गया है कि औद्योगिक प्राधिकरणों के द्वारा ऐसे अधिसूचित गांवों को इंडस्ट्रियल टाउनशिप घोषित करके पंचायत पुनर्गठन से वंचित किया जाना तर्कपूर्ण नहीं था जिन गांवों को सन 1991 में अधिसूचित किए जाने के 29 साल बाद भी अर्जित नहीं किया गया है ! ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र में रोजा याकूबपुर, जलालपुर, वैदपुरा, मिलक लच्छी, सुनपुरा श्योराजपुर, अच्छेजा, जान सिवाना, खेड़ी, भनौता, सादुल्लापुर सरीखे के अनेकों गांव इसके उदाहरण हैं !  जनपद गौतमबुध नगर स्थित नोएडा, ग्रेटर नोएडा, एवं यमुना एक्सप्रेस औद्योगिक विकास प्राधिकरण की भांति उत्तर प्रदेश में यूपी एक्सप्रेसवेज इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी, गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण, लखनऊ औद्योगिक विकास प्राधिकरण, कानपुर औद्योगिक  विकास प्राधिकरण की स्थापना भी उत्तर प्रदेश औद्योगिक क्षेत्र विकास अधिनियम 1976 के अंतर्गत हुई है लेकिन केवल जनपद गौतम बुद्ध नगर के तीनों औद्योगिक प्राधिकरण क्षेत्रों में 24 दिसंबर 2001 की अधिसूचना के आधार पर ग्राम पंचायत गठन पर रोक लगाना एवं तीनों प्राधिकरण क्षेत्र के शहरी क्षेत्र में आज तक नगर निगम का गठन न किया जाना प्रदेश में कानून में समानता की संवैधानिक व्यवस्था पर सवालिया निशान है ! क्योंकि गौतमबुध नगर को छोड़कर सभी औद्योगिक प्राधिकरण क्षेत्रों में पंचायतों का भी गठन किया जा रहा है और शहरी क्षेत्र में नगर निगम का भी गठन किया जा रहा है ! बिना भेदभाव निष्पक्षता से काम करने वाले प्रदेश के मुख्यमंत्री को जन भावनाओं से अवगत कराते हुए जनपद गौतमबुद्धनगर  में पंचायत पुनर्गठन अथवा विकल्प के तौर पर नगर निगम के गठन की प्रक्रिया हेतु संवैधानिक प्रक्रिया पूरी करते हुए आदेश पारित करने की पत्र में मांग की गई है !
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