एस आई टी जांच में देरी से गौतम बुद्ध नगर के किसानों के गुस्से का बढ़ रहा है पारा ।
जांच में विलंब करके एस आई टी करा रही सरकार की किरकिरी।
-कर्मवीर नागर प्रमुख
जनपद गौतम बुद्ध नगर के तीनों औद्योगिक प्राधिकरण में समय-समय पर अधिकारियों द्वारा की गई अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की पोल खुलती रही है। गैर पुश्तैनी काश्तकारों को लीजबैक किए जाने में अनियमितता करने का ऐसा ही एक मामला खुलासा होने पर उत्तर प्रदेश शासन द्वारा मामले की जांच हेतु 10 जनवरी 2019 एसआईटी का गठन किया गया था। लेकिन 1 वर्ष और 8 माह बीत जाने के बाद अभी तक भी एसआईटी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने में ढुलमुल रवैया अपना रही है। एसआईटी द्वारा की जा रही जांच रिपोर्ट में विलंब से ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्र के किसान सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र के पुश्तैनी किसानों की लीजबैक प्रक्रिया पर भी एसआईटी जांच के बहाने अधिकारियों ने रोक लगाई हुई है। एक तरफ लीजबैक प्रक्रिया बंद होने की वजह से किसान पूरी तरह से पस्त है तो वहीं दूसरी तरफ एसआईटी के अधिकारी जांच को ठंडे बस्ते में डाल कर मस्त हैं।
कर्मवीर नागर प्रमुख का कहना है कि गैर पुश्तैनी काश्तकारों की जांच के नाम पर पुश्तैनी काश्तकारों को परेशान किया जा रहा है। ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे अभी भी गैर पुश्तैनी काश्तकारों के दबाव में उनकी जमीनों को बचाने के लिए अंदर खाने कोई लीपापोती चल रही है। प्रमुख ने कहा कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के कारण देश की आर्थिक व्यवस्था चरमराई हुई है, जीडीपी बुरी तरह से प्रभावित है, लोगों के रोजी रोजगार और व्यवसाय ठप्प हो गए हैं। ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था को संभालने में अपना अहम योगदान देने वाले किसान के प्रति बेरहमी का यह आलम है कि गौतमबुद्ध नगर के जिन किसानों की भूमि को कौड़ियों के भाव अधिग्रहण कर लिया गया, प्राधिकरण के अधिकारी उन्हें आज खून के आंसू बहाने के लिए मजबूर कर रहे हैं।
कोरोना महामारी की वजह से घोषित किए गए लॉकडाउन के कारण चरमराई आर्थिक स्थिति से उबरने एवं लोगों को रोजी रोजगार मुहैया कराने के लिए तमाम तरह की आर्थिक सहायता और आर्थिक पैकेज देने की घोषणा केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा की गई। लेकिन एसआईटी की जांच में उलझे किसानों को इस सरकारी आर्थिक सहायता पैकेज के लाभ से भी वंचित रहना पड़ा है जिससे वह अपने परिवार के लिए किसी रोजी रोजगार की व्यवस्था कर पाता। यहां यह भी बताना अनिवार्य होगा कि गौतमबुद्ध नगर के किसानों के साथ दूर के ढोल सुहावने लगने वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। दूरदराज के लोग, अधिकारी और सरकार भी गौतम बुध नगर की किसान को कुबेर के खजाने का मालिक समझते हैं। जबकि वास्तविकता और आंकड़े बिल्कुल इसके उलट हैं। कुछ चंद किसानों को छोड़कर शेष किसानों के आर्थिक हालात अच्छे नहीं है। इसीलिए एसआईटी की जांच रिपोर्ट में हो रही देरी से ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र का किसान बहुत गुस्से में हैं। किसान का पारा सातवें आसमान पर पहुंच चुका है। ऐसे में किसान और कामगार का गुस्सा कोई भी गुल खिला सकता है।
कर्मवीर नागर प्रमुख ने आरोप लगाया कि एसआईटी जांच से जुड़े अधिकारियों की तानाशाही और अनदेखी का आलम यह है कि वह किसान प्रतिनिधियों को और स्थानीय जनप्रतिनिधियों तक को भी यह तक स्पष्ट करने के लिए तैयार नहीं कि जांच रिपोर्ट प्रस्तुत किया जाना कब तक संभावित है ?
प्रदेश सरकार का ध्यान इंगित कराते हुए कर्मवीर नागर प्रमुख कहा कि जांच रिपोर्ट में विलंब करके एसआईटी के अधिकारी किसानों की नजरों में सरकार की किरकिरी करा रहे हैं।अगर एसआईटी जांच रिपोर्ट को अति शीघ्र प्रस्तुत करके किसानों की लीज बैक प्रक्रिया और अन्य समस्याओं का निस्तारण प्रारंभ नहीं किया गया तो किसानों का गुस्सा किसी भी रूप में फूट सकता है।

