आंदोलन कर रहे किसानों और मोदी सरकार के बीच 4 घंटे की बातचीत में क्या निकला, जान लीजिए।
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नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों और केंद्र सरकार के बीच मंगलवार को बातचीत हुई। किसानों के 35 संगठन इस बातचीत में शामिल हुए. सरकार की ओर से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलमंत्री पीयूष गोयल और केंद्रीय मंत्री सोमप्रकाश ने इस वार्ता में हिस्सा लिया। ये बैठक मंगलवार दोपहर बाद 3 बजे शुरु हुई और करीब 7 बजे तक चली। हालांकि कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका। अगली बैठक अब 3 दिसंबर को होगी, ऐसा बताया गया है।
सूत्रों के मुताबिक, सरकार की ओर से APMC Act और MSP पर प्रजेंटेशन दिया गया. MSP को लेकर किसानों को समझाने की कोशिश की गई। किसान संगठनों की ओर से नए कानून वापस लेने की मांग की गई. इस पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि चार-पांच नाम अपने संगठन से दे दीजिए। एक समिति बना देते हैं। इसमें सरकार के लोग और कृषि एक्सपर्ट भी होगे। ये समिति नए कृषि कानून पर विस्तृत चर्चा करेगी।
मीटिंग की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने बताया कि बातचीत के दौरान किसान संगठन के प्रतिनिधि ने आरोप लगाया कि आप ऐसा कानून लाए हैं, जिससे हमारी जमीनें बड़े कॉरपोरेट ले लेंगे। आप कॉरपोरेट को इसमें मत लाइए। उन्होंने ये भी कहा कि अब समिति बनाने का समय नहीं हैं। आप कहते हैं कि आप किसानों का भला करना चाहते हैं, और हम कह रहे हैं कि हमारा भला मत करिए. एक किसान प्रतिनिधि ने तो नए कानूनों को किसानों के लिए डेथ वारंट बता दिया।
बताया जा रहा है कि किसान नेताओं तो समिति बनाने पर आपत्ति नहीं है, लेकिन उनका कहना है कि समिति जब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच जाती, तब तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा। सरकार ने ये भी प्रस्ताव दिया कि समिति रोजाना नए कानूनों पर चर्चा के लिए तैयार है ताकि जल्द नतीजा निकले।
हालांकि पहले ऐसी खबरें थीं कि गृहमंत्री अमित शाह और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह भी इस मीटिंग में शामिल होने वाले हैं। दिल्ली के विज्ञान भवन में ये बातचीत हुई। नरेंद्र सिंह तोमर ने इस बातचीत से पहले मीडिया से कहा कि हम लोग समाधान करने के लिए चर्चा करने को पूरी तरह तैयार हैं।
जेपी नड्डा के आवास पर हुई बैठक
इस बैठक से पहले बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर एक बैठक हुई थी। इसमें किसानों से जुड़े मुद्दे पर चर्चा की गई। इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शामिल हुए।
तीन बजे का वक्त तय हुआ था
किसानों के बातचीत के लिए पहले सरकार ने 3 दिसंबर का दिन मुकरर्र किया था, लेकिन लगातार बढ़ रहे विरोध प्रदर्शन को देखते हुए सरकार ने 1 दिसंबर को ही किसानों को मिलने के लिए बुला लिया। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि सड़क पर बात नहीं की जा सकती। सरकार चर्चा के लिए तैयार है।
वहीं, दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे भारतीय किसान यूनियन के नरेश टिकैत ने मीडिया से कहा कि सरकार ने पंजाब डेलीगेशन को तीन बजे का वक्त दिया है। इसके बाद सरकार 7 बजे यूपी, उत्तराखंड हरियाणा के संगठनों से मिलेगी। हम लोग सरकार के साथ इस मुद्दे पर फाइनल बातचीत करना चाहते हैं।
किसानों से मिलने पहुंच रहे नेता
आम आदमी पार्टी के नेता मंगलवार को किसानों से मिलने के लिए पहुंचे। कैलाश गहलोत और सौरभ भारद्वाज ने किसानों के बीच से केंद्र सरकार पर निशाना साधा। वहीं, आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर भी किसानों से मुलाकात करने के लिए दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर पहुंचे। यही नहीं, शाहीन बाग में CAA विरोधी धरना प्रदर्शन की वजह से चर्चित हुईं बिलकिस ‘दादी’ भी किसानों के प्रदर्शन में शामिल होने के लिए सिंघु बॉर्डर पहुंचीं, हालांकि पुलिस ने उन्हें वापस लौटा दिया।
क्या कह रहे हैं नेता?
किसानों के आंदोलन को लेकर कई पार्टियों के भी बयान आए हैं। कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि सरकार ने किसानों के लिए वार्ता के दरवाजे खोले हैं, तो मन भी खोलकर बात कीजिए। अगर आप किसानों से बात कर रहे हैं तो तीनों खेती विरोधी काले कानूनों को आज ही प्रधानमंत्री सस्पेंड करने का निर्णय करें, और इसकी घोषणा करें।
हरियाणा सरकार में शामिल JJP के अध्यक्ष अजय चौटाला ने कहा कि किसानों की समस्या का सामाधान जितना जल्द निकल जाए, उतना बेहतर है। सरकार में बैठे लोग बार-बार ये बयान देते हैं कि हम MSP को जारी रखेंगे। इस लाइन को वो लिख दें तो दिक्कत क्या है?
चरखी दादरी से निर्दलीय विधायक और सांगवान खाप के प्रधान सोमबीर सांगवान ने कहा कि हरियाणा की तमाम खापें, किसानों के साथ हैं। मैं सरकार से समर्थन वापसी की घोषणा करता हूं और सांगवान खाप अब दिल्ली कूच करेगी।
दिल्ली सरकार में मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि किसान केवल यही मांग कर रहे हैं कि उनको कोई न्यूनतम गारंटी मिले, जिस पर वो अपनी फसल बेच सकें।