हादसों का कारण बनते डग्गामार वाहन।
प्रशासन के रोजाना अभियान के दावो के बावजूद, लोनी की यातायात व्यवस्था को डग्गामार अपनी मर्जी से तोड़ते हैं। क्षमता से अधिक घरेलू गैस सिलिंडर/सवारियां/बिल्डिंग निर्माण सामग्री लेकर फर्राटा भरने वाले यह वाहन राजस्व को चूना तो लगाते ही हैं, हादसों के भी कारण बनते हैं। दिल्ली-सहारनपुर रोड, लोनी तिराहे पर इनका कब्जा रहता है, जहां से निकलना मुश्किल होता है। इनमें कई वाहन तो ऐसे है, जो तय समय सीमा पर कर चुके है, बावजूद इसके ये फर्राटा भर रहे है।
लोनी में ऐसे कई वाहन है जो 15 वर्ष से अधिक पार कर चुके है, इनका फिटनेस सर्टिफिकेट तक नही बना हुआ है और यह रोड़ पर चल रहे है, साथ ही में इनसे घरेलू सिलिंडरों/बिल्डिंग निर्माण सामग्री की सप्लाई की जाती है।
दिल्ली-सहारनपुर रोड पर ऑटो/ट्रैक्टर-ट्रॉली का साम्राज्य
दिल्ली-सहारनपुर रोड़ से और ट्रोनिका सिटी को जाने वाले मार्गो पर ऑटो/ट्रैक्टर-ट्रॉली का साम्राज्य है। यह यातायात व्यवस्था में किसी भयानक बीमारी का दूसरा रूप है। जहां मन आया वहीं पर वाहन खड़ाकर सवारियां भरने लगे, काई बार वहीं खड़ी पुलिस अंकुश नहीं लगा पाती है। इससे मुख्य मार्गो पर जाम तो लगता ही है, साथ में बड़ा हादसा होने का भी अंदेशा रहता है। अक्सर ऐसे काफी हादसे हुए है, जिसमें लोगों ने जान तक गंवा दी। इन हादसों का कारण डग्गामार वाहन भी थे।
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राजस्व पर डाका
लोनी में चलने वाले डग्गामार वाहन/ऑटो/ट्रेक्टर-ट्रॉलियां खुलेआम लाखों रुपए प्रतिमाह के राजस्व का डाका डालते है। एक ऑटो में तीन सवारियां का ही पंजीकरण होता है। प्रशासन की सांठगांठ से एक ऑटो में 7-8 सवारियों को बैठाया जाता है। इससे दो गुने राजस्व की चपत खुलेआम लगती है।
आय का जरिया
डग्गामार वाहन/ऑटो/ट्रैक्टर-ट्रॉली के जरिए वाहन मालिक तो कमाई करते ही हैं, लेकिन यह पुलिस और परिवहन विभाग के लिए भी किसी दुधारु गाय से कम नहीं है। इन डग्गामार वाहनों/ऑटो/ट्रैक्टर ट्रॉली से वसूली जाने वाली माहवारी तो चर्चा में रहती है। यही कारण है कि इन वाहनों को आतंक कायम करने की खुली छूट दी जाती है।
अराजकता पर अंकुश
कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं प्रशासन द्वारा औचक वाहन चेकिंग की जाती रही है, लेकिन चेकिंग की भनक लगते ही यह गाड़ियां ही बंद हो जाती है। इस कारण से इनके खिलाफ कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पाई।