STF ने पकड़ा दो साइबर अपराधी 10 लाख रुपए बरामद
24x7 गाजियाबाद न्यूज़
STF और इंदिरापुरम पुलिस ने लोगों के नए डेबिट और ATM कार्ड में फर्जीवाड़ा कर खातों से रुपये निकालने वाले गिरोह के दो सदस्यों को शुक्रवार को खोड़ा थाना क्षेत्र के गीतांजलि विहार इलाके से गिरफ्तार किया है। जबकि गिरोह का मास्टरमांइड फरार है। पुलिस ने मौके से दस लाख रुपये, 45 चिप ग्राहक की डिटेल के साथ, 51 एटीएम कार्ड, एक ब्लोवर, कटर, मोबाइल और लैपटॉप बरामद किए हैं। पकड़े गए आरोपी कोरियर कंपनी में डिलीवरी ब्वॉय हैं। दोनों डेढ़ वर्षों से कुलदीप के साथ मिलकर गिरोह में काम कर रहे थे।
STF नोएडा के एएसपी राजकुमार मिश्र ने बताया कि कुछ समय से एसटीएफ यूपी को एनसीआर में विभिन्न बैंकों मेें हो रही धोखाधड़ी करने वाले गिरोह की सूचनाएं मिल रही थीं। इस संबंध में दरोगा अक्षय पीके त्यागी, एसटीएफ नोएडा की टीम को जानकारी मिली कि गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर मेें विभिन्न बैंकों के नए एटीएम/डेबिट कार्डो की डिलीवरी के समय फर्जीवाड़ा करके एटीएम/डेबिट कार्डों से लोगों के खातों से रुपये निकाले जा रहे हैं। इस संबंध में इंदिरापुरम क्षेत्र निवासी अदिति सिंह ने खाते से एक लाख रुपये निकाले जाने समेत कई मुकदमे दर्ज हैं।
उन्होंने बताया कि STF नोएडा को 21 माई को सूचना प्राप्त हुई कि इस तरह की वारदातों को अंजाम देने वाले शातिर रुपये के लेन-देन को लेकर खोड़ा कॉलोनी के एक मकान में मिलने वाले है। STF नोएडा टीम और इंस्पेक्टर क्राइम इंदिरापुरम सुनील सिंह टीम के साथ खोड़ा पहुंचे। खोड़ा के गीतांजलि विहार से दोनों आरोपियों को धर दबोचा। पकड़े गए आरोपी संजय यादव निवासी गीतांजलि विहार खोड़ा और हर्ष शर्मा शाहदरा दिल्ली हैं। दोनों ब्लूडार्ट कोरियर कंपनी में डिलीवरी ब्वॉय का काम करते थे।
कुलदीप से हुई थी मुलाकात
अभियुक्त संजय यादव ने पूछताछ पर बताया कि वह 12वीं पास है। 3 वर्षों से ब्लूडार्ट कंपनी में कोरियर डिलीवरी का काम कर रहा था और कोरियर डिलीवरी करते समय मास्टरमाइंड कुलदीप निवासी खोड़ा कालोनी के पते पर गया था। इसी दौरान दोनों में दोस्ती हो गई। कुलदीप ने संजय को फर्जीवाड़ा करने का तरीका बताया। शुरूआत में कुलदीप, संजय को प्रति कार्ड 5 हजार देता था और बाद में इस धोखाधड़ी से प्राप्त धनराशि का आधा हिस्सा देनेे लगा।
घटना को अंजाम ऐसे देते थे
अभियुक्त संजय, कुलदीप को ग्राहक को एटीएम कार्ड डिलीवरी करने से पहले कुछ घंटों के लिए एटीएम कार्ड दे देता था। ग्राहक के अकाउंट में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर, जो कि कोरियर में पते के साथ लिखा होता था, वो भी नोट कराता था। इस रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर को कॉल स्पूफिंग एप का प्रयोग करके बैंक के ऑटोमेटिक कॉल रिस्पॉन्स सिस्टम से कार्ड होल्डर के बैंक अकाउंट का बैलेंस जान लेते थे। इस प्रक्रिया में किसी प्रकार की ओटीपी नहीं जनरेट होती है, इसलिए ग्राहक को इसका पता नहीं चलता है। इसके अलावा ग्राहक को एटीएम कार्ड डिलीवरी करते समय संजय जानबूझकर ग्राहक के आधार कार्ड की डिटेल प्राप्त करता था।
बाद में कुलदीप के साथ मिलकर संजय ओरिजनल एटीएम कार्ड से चिप बदलता था और इस एटीएम कार्ड के लिए आवश्यक पिन कोड प्राप्त करने के लिए बैंक के आईवीआर सिस्टम मेें कॉल स्पूफिंग एप का प्रयोग करके इस ऑटोमेटिक सिस्टम को आवश्यक जानकारी देते हुए, जैसे एटीएम कार्ड का नंबर, एक्सपाइरी डेट, आधार नंबर, जन्म तिथि आदि देते हुए एटीएम कार्ड का पिन कोड प्राप्त कर लेता था, इस पूरी प्रक्रिया मेें किसी प्रकार का ओटीपी जनरेेट नहीं होता। इससे असली ग्राहक को इसकी जानकारी नहीं हो पाती थी। यह लोग कूटरचित एटीएम कार्ड से कुछ समय बाद एटीएम से पैसे की निकासी कर लेते थे। जबकि एटीम कार्ड ग्राहक के पास बना रहता था। एएसपी एसटीएफ ने बताया कि दो दिन में 45 मामले अभी तक ट्रेस हो चुके हैं। जिसमें करीब 60 लाख रुपये निकाले गए हैं। अभी और मामले निकाले जा रहे हैं।