Breaking News

Followers

42.2k

Live👁️Reading this Article

16 साल बाद बर्फ में दबा मिला शहीद जवान का शव, हिसाली गांव में हुआ अंतिम संस्कार।


16 साल बाद बर्फ में दबा मिला शहीद जवान का शव, हिसाली गांव में हुआ अंतिम संस्कार।

Ghaziabad News
प्रमोद गर्ग
गाजियाबाद। मुरादनगर (Muradnagar) के हिसाली गांव का एक शहीद फौजी का शव उसकी मौत के ठीक 16 साल बाद उत्तराखंड में बर्फ में दबा मिला है। पर्वतारोही फौजियों का एक दल 2005 में गंगोत्री हिमालय (Himalaya) की सबसे ऊंची चोटी सतोपंथ पर तिरंगा (Tirangaa) फहराकर वापस लौट रहा था। रास्ते में संतुलन बिगड़ने से हादसा हो गया। इससे 4 जवान सैकड़ों फीट नीचे खाई में गिर गए थे। उनमें से एक का शव नहीं मिला था। मां-बाप की आखिरी इच्छा थी कि शहीद बेटे का अंतिम दर्शन कर लें, मगर वह भी पूरी नहीं हुई और वे चल बसे। अब 16 साल बाद शव मिलने से परिवार के जख्म ताजा हो गए हैं। 
देखिए वीडियो 👇


हिसाली गांव का निवासी है जवान

जवान की ड्रेस, नेम प्लेट और शरीर भी काफी हदतक सुरक्षित मिला है। परिवार ने भी शव की पहचान कर ली है। दो दिन में औपचारिकताएं पूरी होने के बाद आज शहीद जवान का शव उनके पैतृक गांव हिसाली मुरादनगर लाया गया। जहां सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। जवान अमरीश त्यागी गाजियाबाद के हिसाली गांव के रहने वाले थे। यह गांव थाना मुरादनगर में आता है। आज जब जवान के शव को गांव लाया गया तो माहौल गमगीन था। क्षेत्र के लोगों ने जवान को अंतिम विदाई दी। 

दूसरी सबसे बड़ी चोटी पर तिरंगा फहराने गया था

भारतीय सेना का 25 सदस्यों का एक दल स्वर्णिम विजय वर्ष के मौके पर सतोपंथ चोटी को फतह करने 12 सितंबर को उत्तरकाशी से निकला था। यह चोटी हिमालय रेंज के बीच है। यह गंगोत्री नेशनल पार्क की दूसरी सबसे बड़ी चोटी है। इसकी ऊंचाई करीब 7075 मीटर है। अभियान के दौरान सेना के दल को 23 सितंबर को हर्षिल नाम की जगह के पास बर्फ में दबा अमरीश त्यागी का शव मिला। इसे सेना के जवानों ने गंगोत्री पहुंचाया और पुलिस को सौंपा। 

2005 में हुई थी मौत

पुलिस और सेना ने जब जानकारी जुटाई तो पता चला कि अमरीश 23 सितंबर 2005 में इसी चोटी पर तिरंगा फहराकर लौट रहे थे। तब पैर फिसलने से 4 जवान खाई में गिर गए थे। तीन जवानों के शव उसी वक्त बरामद हो गए थे, जबकि एक लापता था। ठीक 16 साल बाद 23 सितंबर 2021 को उनका शव बरामद हुआ है। आर्मी मुख्यालय नई दिल्ली से तीन जवानों का दल 25 सितंबर को गांव हिसाली पहुंचा। यहां अमरीश त्यागी का पैतृक मकान है। घर पर अमरीश के भाई विनेश और रामकिशोर मौजूद मिले। 

खेतीबाड़ी करता है परिवार

जवानों ने उन्हें बताया कि 16 साल पहले बर्फीले पहाड़ से उतरने के दौरान अमरीश त्यागी लापता हुए थे, उनका शव अब मिला है। आर्मी जवानों के अनुसार, बर्फ पिघलने पर उसमें दबे अमरीश त्यागी का शव दिखाई पड़ा। अमरीश त्यागी के तीन भाई रामकिशोर त्यागी, विनेश त्यागी, अरविंद त्यागी हैं। रामकिशोर और विनेश त्यागी हिसाली में ही रहते हैं और खेतीबाड़ी संभालते हैं। अरविंद त्यागी ऑर्डिनेंस फैक्ट्री चंडीगढ़ में कार्यरत हैं। विनेश त्यागी ने बताया कि 2005 में यह हादसा हुआ। 2006 में आर्मी ने मृत घोषित करते हुए अमरीश की पत्नी को आर्थिक सहायता दे दी थी।
close