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रेमडेसिविर इंजेक्श किसको लगा, प्रशासन नही दे रहा जवाब, राज्यमंत्री ने जिलाधिकारी से मांगा ब्यौरा


रेमडेसिविर इंजेक्श किसको लगा, प्रशासन नही दे रहा जवाब, राज्यमंत्री ने जिलाधिकारी से मांगा ब्यौरा

24x7 गाजियाबाद न्यूज़
जनपद गाजियाबाद में मरीजों को रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराने की व्यवस्था पर स्वास्थ्य राज्यमंत्री अतुल गर्ग ने सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने इसकी व्यवस्था को लेकर जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय से नाराजगी भी जाहिर की है। 

अतुल गर्ग राज्यमंत्री का आरोप है कि जिस समय कोरोना संक्रमण चरम पर था, उस समय रेमडेसिविर की जमकर कालाबाजारी हुई। उन्होंने डीएम से उन मरीजों को विस्तृत ब्योरा मांगा है, जिन्हें रेमडेसिविर इंजेक्शन मुहैया कराया गया। 

उनका कहना है कि प्रशासन और अधिकारी दावा करते रहे कि रेमडेसिविर की सप्लाई को लेकर समुचित व्यवस्था बनाई गई। मरीज को जरूरत होने पर अस्पताल की मांग पर इंजेक्शन उपलब्ध कराए गए लेकिन सच्चाई ये है कि उसी वक्त लाचार और मजबूर पीड़ित परिजन अपने मरीज की जान बचाने के लिए ब्लैक में इंजेक्शन खरीद रहे थे। जरूरतमंदों को प्रशासन की तरफ से रेमडेसिविर नहीं दिया गया।

जिलाधिकारी को लिखे पत्र में स्वास्थ्य मंत्री ने लिखा है कि 15 अप्रैल से पांच मई तक कोरोना संक्रमण चरम था और लोगों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा था। इस दौरान मरीजों की जान बचाने के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन की बेहद आवश्यकता था लेकिन इस दौरान मेरे संज्ञान में आया कि काफी जरूरतमंदों को कहने के बाद भी इंजेक्शन नहीं मिल पाए। जबकि उन्हें ब्लैक में बाजार से इंजेक्शन खरीदने पड़े। 
मरीजो को ब्लैक में इंजेक्शन खरीदे जाने की शिकायत पर प्रशासन एवं औषधि निरीक्षण को चार बार पत्र लिखकर ब्योरा मांगा गया। उन चारों पत्रों को भी साथ में संलग्न किया गया है जिसमें लिखा गया था कि विभिन्न अस्पतालों में भर्ती मरीज पूछ रहे है कि उन्हें इंजेक्शन क्यों नहीं मिल रहा है। जबकि अस्पताल ब्लैक में इंजेक्शन देने को तैयार है। 

जिसके बाद मंत्री उन मरीजों का ब्योरा मांगा जिन्हें तीन कार्य दिवसों में इंजेक्शन उपलब्ध कराए गए लेकिन अधिकारी चुप्पी साध कर बैठ गए। डीएम को लिखे पत्र में 18, 23, 24 अप्रैल और नौ मई को अधिकारियों को रेमडेसिविर इंजेक्शन से जुड़े मरीजों का ब्योरा मुहैया कराने के संबंध में लिखे पत्रों को भी संलग्न किया गया। 

पूरा ब्योरा 4-5 कार्य दिवसों में मुहैया कराएं  

जिलाधिकारी को लिखे पत्र में मंत्री ने कहा कि वह उन मरीजों के नाम, मोबाइल नंबर, आधार व इत्यादि विवरण चार से पांच कार्य दिवसों में मुहैया कराएं, जिससे कि कालाबाजारी की जांच हो सके। साथ में हवाला दिया है कि मुख्यमंत्री का स्पष्ट आदेश है कि कालाबाजारी की जांच की जानी चाहिए, जिससे की उन पर कठोर कार्रवाई की जा सके। 

फार्मेसी और अस्पतालों का ब्योरा भी देने से बचते रहे अधिकारी

राज्यमंत्री का आरोप है कि अधिकारी उन सभी अस्पतालों और फार्मेसी का ब्योरा देने से भी बच रहे हैं जिन्हें इंजेक्शन मुहैया कराए गए। ऐसे में उन मरीजों से भी जानकारी ली जाना चाहिए जिन्होंने ब्लैक में इंजेक्शन खरीद कर लगवाए। उधर, बताया जा रहा है कि गाजियाबाद से बड़ी संख्या में अधिकारियों ने अपने परिचित और रिश्तेदारों के लिए स्वास्थ्य विभाग से रेमडेसिविर के इंजेक्शन उठाए।

यहां तक की नोएडा, दिल्ली व अन्य शहरों में भर्ती मरीजों के लिए भी यहां से इंजेक्शन भेजे गए, जिनका विभाग के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है कि वो किस मरीजों को लगाए गए। यही कारण है कि अब अधिकारियों को डर है कि जांच होने पर उनकी गर्दन फंस सकती है और पूरा खेल पकड़ा जा सकता है। 

देश मे संक्रमण चरम पर होने के कारण अप्रैल और मई की शुरुआत में मैंने सिस्टम पर कोई सवाल नहीं उठाया लेकिन रेमडेसिविर के वितरण में बड़ी गड़बड़ी हुई है, जिसकी विस्तृत जांच होनी चाहिए। इसके डीएम को पत्र लिखकर विस्तृत ब्योरा मांगा है। निश्चित तौर पर कालाबाजारी के खेल में शामिल अधिकारियों व अन्य लोगों पर कार्रवाई करवाना अब मेरी पहली प्राथमिकता है। - अतुल गर्ग, स्वास्थ्य राज्यमंत्री
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