कोरोना रिपोर्ट के नाम पर लैब संचालक कर रहे हैं खेल
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24x7 गाजियाबाद न्यूज़
जहाँ कोरोना संक्रमित मरीजों को अस्पताल में बेड नसीब नहीं हो रहे हैं, जिन्हें बेड मिल रहे हैं वो ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ रहे हैं। श्मशान भूमियों के बाहर अंतिम संस्कार के लिए कतार में लगे शवों की तस्वीरें हर किसी को झकझोर रही हैं, मगर इस मुश्किल घड़ी में कुछ लोग अपनी इंसानियत को खुद ही मार रहे हैं।
कुछ पैथोलॉजी लैब संचालक जिनके यहां किसी प्रकार का एमबीबीएस, एमडी डॉक्टर नहीं बैठता और स्वयं BSC MLT होने के बाद स्थानीय समाचार दैनिक समाचार पत्र के माध्यम से खुद को डॉक्टर बताते हुए आर्टिकल(इस्तियार) छपवा अपना प्रचार प्रसार कर रहे हैं। साथ ही कोरोना वायरस की जांच रिपोर्ट के नाम पर लोगों के साथ धोखा कर रहे हैं। साथ ही लैब के आड़ में बिना रेडियोलॉजिस्ट के डिजिटल एक्स रे कर रहे है, इनके पास सैम्पल कलेक्शन के बिना डिप्लोमा वाले टेक्नीशियन है। ये कोरोना टेस्ट के लिए होम कलेक्शन करवाने वालों को अधिक शिकार बना रहे हैं।
दरअसल आजकल पैथालॉजी सेन्टरों में मरीजों से पैसे ऐंठने के लिए हर तरकीब अपनाई जा रही है। वन टाइम इंवेस्टमेंट और अनलिमिटेड रिटर्न के इस धंधे में मरीज की जिंदगी तक दांव पर लग जाती है। पिछले कुछ सालों में उपभोक्ता फोरम से लेकर अन्य सरकारी शिकायत केन्द्रों पर पैथोलॉजी लैब्स की लगातार शिकायतें आ रही हैं। एक ही जांच की रिपोर्ट हर पैथालॉजी लैब अलग आने के मामले इनमे सबसे आम हैं।
इसका सबसे बड़ा कारण है कि यहां काम करने वाले टैक्निशियन ही पूर्णत: योग्य नहीं है। सूत्र बताते हैं कि वैध और अवैध रूप से संचालित कई पैथालॉजी सेन्टरों में नौसिखिए लैब टेक्नीशियन जांच करते हैं, जिन्हें पर्याप्त ज्ञान नहीं होता। कई पैथालॉजी लैब पर प्रशासन द्वारा जांच करने पर सामने आया कि यहां ऐसे लोग काम करते दिखते हैं, जिनके पास लैब टेक्नीशियन की कोई डिग्री, या डिप्लोमा नहीं है।
संचालक पैसे बचाने के फेर में कम सैलेरी वाले काम चलाऊ लोग रखते हैं, जो रिसेप्शन पर रसीद काटने से लेकर कोरोनावायरस जांच, पीएफआर, मलेरिया, टायफाइड, यूरिन, पीलिया, एड्स सहित अन्य बीमारियों की जांच कर रहे होते हैं।
गाजियाबाद में इस तरह के फर्जी रिपोर्ट तैयार करने वाले मामले उजागर हो चुके हैं। आरोपियों को गिरफ्तार भी किया गया है। हालांकि अब वो बाहर है।
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जनपद गाजियाबाद के महागुनपुरम में रहने वाले रोहित शर्मा के परिवार के साथ क्या हुआ। आईए जानते हैं खुद रोहित की जुबानी।
रोहित शर्मा ने बताया कि वो विधी टॉवर महागुनपुरम का रहने वाले है। उन्होंने अपनी सोसाइटी के आर्केड में पैथोलॉजी कलेक्शन सेंटर चलाने वाले शख्स, जिसका नाम ललित है, को कोविड टेस्ट कराने के लिए बुलाया। उन्होंने उन्हें 22 अप्रैल को अपने घर पर कोविड-19 के परीक्षण की खातिर नमूने लेने के लिए बुलाया। ललित ने सरकारी रेट 900 रुपए की बजाय 1200 रुपए प्रति आरटीपीसीआर टेस्ट के लिए। रोहित ने बताया कि उनके पिताजी पहले ही कोरोना संक्रमित हो चुके थे। इसलिए उन्होंने ललित को सबसे पहले मां रैपिड टेस्ट करने के लिए कहा। मां कोरोना पॉजिटिव निकलीं। इसके बाद उन्होंने, आरटीपीसीआर टेस्ट के लिए अपनी पत्नी और माँ के स्वाब का नमूना दिया।
उन्होंने बताया कि ललित ने लंंबी जद्दोजहद के बाद दो दिन बाद 24 तारीख को रात 10.30 बजे रिपोर्ट दी। जब रोहित ने रिपोर्ट पर क्यूआर कोड के साथ रिपोर्ट की जाँच की तो यह पता चला कि किसी ने तीनों रिपोर्ट में केवल नाम और आयु बदली की थी। मतलब रिपोर्ट फर्जी थी। किसी और की रिपोर्ट पर हम तीनों के नाम लिख दिए गए थे।
उन्होंने ललित को एक और परीक्षण के लिए घर आने के लिए कहा। तब उसके सामने पूर्व की तीन रिपोर्ट फर्जी होने की आशंका जताई तो उसने स्वीकार किया कि उसने जो नमूने लिए थे, वे जांच के लिए किसी भी प्रयोगशाला में भेजे ही नहीं थे और नकली रिपोर्ट बनाकर दे दी। तुरंत पुलिस को बुलाकर उसे गिरफ्तार करा दिया गया।
सोसाइटी में और लोगों के साथ भी यही हुआ है खेल
जब रोहित शर्मा का मामला खुला तो उन्होंने इस बात को सोसायटी के ग्रुप पर डाला दिया। इसके बाद जिन लोगों ने ललित से आरटीपीसीआर टेस्ट करवाया था। सब ने इसकी जांच करनी शुरू कर दी थी। बताया जा रहा है कि करीब 150 लोगों की जांच रिपोर्ट में गड़बड़ी पाई गई है। जिसमें किसी दूसरे की रिपोर्ट में केवल नाम और उम्र बदल दिया गया है। अब दोबारा टेस्ट के बाद कई ऐसे लोग जिनकी रिपोर्ट निगेटिव बताई गई थी, उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। संक्रमण की वजह से लोग इस मामले को बहुत अधिक एक्टिव होकर नहीं उठा पा रहे हैं।
मनचाही रकम वसूल रहा था
सोसायटी के लोगों का कहना है कि आरटीपीसीआर टेस्ट के लिए ललित कुमार मनमाने पैसे वसूल रहा था। किसी से वह 1200 रुपये लेता था तो किसी ने 1500 रुपये वसूलता था। कुछ लोगों से उसने एक टेस्ट के लिए 2000 तक रुपये लिए हैं। इसी सोसायटी के एक परिवार ने 12 हजार रुपये देकर 6 लोगों का कोरोना टेस्ट करवाया था। अब ऐसे लोगों को दोबारा से टेस्ट करवाना पड़ रहा है।
स्थानीय पुलिस ने नहीं लिया मामले को गंभीरता से
सोसायटी के लोगों का कहना है कि पुलिस ने शिकायत मिलने के बाद भी इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया है। जिसकी वजह से आज ललित कुमार बाहर है। यदि सामान्य समय होता तो सोसायटी के लोग एकजुट होकर थाने जाते और कार्रवाई किए जाने की मांग करते, पर अभी वह मजबूर हैं।
वहीं कविनगर एसएचओ अजय सिंह का कहना है कि इस मामले में 112 की टीम ललित कुमार को लेकर आई थी। जब पूछा गया तो उसने बताया कि टाइपिंग ऐरर की वजह से यह गलती हुई है। इसके बाद उसका 151 में चालान करके उसे छोड़ दिया गया था। यदि सोसाइटी में बड़ी संख्या में लोगों के साथ ऐसा हुआ है और वह लिखकर शिकायत दें। इसके बाद पुलिस वैधानिक कार्रवाई करेगी।

