ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के आबादी लीजबैक प्रकरण की जांच रिपोर्ट जल्द प्रस्तुत करें एसआईटी ।
कैग द्वारा की गई जांच रिपोर्ट को भी खुलासा करें प्राधिकरण ।
- कर्मवीर नागर प्रमुख
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र के पुश्तैनी काश्तकारों को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा अर्जित भूमि की एवज में आवंटित किए जाने वाले भूखंड किसानों के गांवों के निकट न दिए जाने और गैर पुश्तैनी काश्तकारों की भूमि अर्जन मुक्त किए जाने से क्षुब्ध होकर ग्राम मिलक लच्छी निवासी पूर्व ब्लाक प्रमुख श्रीमती सुरेश नागर द्वारा की गई शिकायत की जांच के खुले पिटारे में अकेले बिसरख गांव में लगभग 35 हजार वर्ग मीटर भूमि गौतम बुधनगर के गैर पुश्तैनी काश्तकारों के नाम अर्जन मुक्त होना पाई गई थी । हालांकि शिकायत का मुख्य मुद्दा प्राधिकरण क्षेत्र के सभी गांवों में गैर पुश्तैनी लोगों की अनियमितता पूर्ण तरीकों से अर्जन मुक्त की गई भूमि की जांच के संबंध में इसलिए उठाया गया था क्योंकि भू अधिग्रहण प्रक्रिया के समय तत्कालीन अधिकारियों ने स्थानीय काश्तकारों की उस भूमि को भी अधिग्रहण कर लिया गया था जिस भूमि पर गांव के किसान अपना रैन बसेरा बनाकर निवास कर रहे थे और मोटे भ्रष्टाचार के बल पर ऐसे गैर पुश्तैनी काश्तकारों की भूमि भी अर्जन मुक्त कर दी गई थी जो गौतमबुद्ध नगर जिले और उत्तर प्रदेश के वाशिंदे तक नहीं हैं ।
सभी गांव के संबंध में की गई शिकायत के बावजूद ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र के अन्य गांवों की जांच किए बगैर अकेले बिसरख गांव की ही जांच किए जाने पर आपत्ति जताते हुए पूर्व ब्लाक प्रमुख श्रीमती सुरेश नागर ने पुनः मेरठ मंडल मेरठ के तत्कालीन कमिश्नर श्री प्रभात कुमार और प्रदेश के मुख्यमंत्री महोदय को पत्र लिखकर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र के सभी गांवों की जांच का अनुरोध किया था । ताकि गैर पुश्तैनी काश्तकारों की अर्जन मुक्त भूमि को रद्द करने के बाद किसानों को अर्जित भूमि की एवज में मिलने वाले भूखंड दूरदराज आवंटित किए जाने के बजाय इनके गांवों के समीप आवंटन हेतु भूमि उपलब्ध हो सके ।
इस संबंध में आबादी की लीज बैक प्रकरणों की जांच हेतु उत्तर प्रदेश शासन द्वारा विशेष जांच कमेटी गठित करने के आदेश औद्योगिक विकास अनुभाग- 3 के पत्र संख्या- 101/77- 3-19- 200 एम/18 लखनऊ के तहत दिनांक - 10 जनवरी 2019 को जारी किए गए थे। जांच में 6 मुख्य बिंदुओं को शामिल किया गया था । जिनमें प्रथम- लीज बैक का लाभार्थी क्या ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र का मूल निवासी रहा है अथवा नहीं ? खतौनी में पता कहां का दर्ज रहा है ?। द्वितीय- मूल पुश्तैनी काश्तकार 28 जनवरी 1991 के पूर्व के हैं या बेनामें से आए हैं ?। तृतीय- बैनामा धारक हैं तो कब का बैनामा है, बेनामें में पता आदि कहां का लिखा हुआ है ?। चतुर्थ- जितना क्षेत्रफल किसान का था उसके अनुरूप उसे आबादी व्यवस्थापन नियमावली के अनुसरण में क्षेत्रफल दिया गया अथवा नहीं, यदि अधिक दिया गया तो कारण क्या था ? कहीं उसके कुल क्षेत्रफल से अधिक भी तो नहीं दे दिया गया है ?। पंचम- जिसे आबादी लीजबैक का लाभ मिला, उसकी क्या आबादी 30 जून 2011 से 5 नवंबर 2011 के मध्य मौके पर थी ? इस आशय की छानबीन गूगल मैप से किया जाए । छठवें- लीजबैक होने वाली भूमि के सापेक्ष 6% अथवा 10% का भूखंड तो नहीं दिया गया है। आबादी के लीजबैक प्रकरणों की जांच के लिए गठित एसआईटी का अध्यक्ष यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक श्री अरुण वीर सिंह को बनाया गया है। श्री अरुण वीर सिंह की अध्यक्षता में वर्ष 2019 के जनवरी माह में एसआईटी की जांच प्रारंभ होने के बाद अब लगभग 1 वर्ष और 3 माह की अवधि बीत जाने के बाद भी आज तक एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की है । जिस वजह से किसानों की आबादी की लीजबैक करने, अर्जित भूमि की एवज में भूखंड आबंटित करने, आबादी के मामले निस्तारित करने जैसे अति आवश्यक कार्य भी प्राधिकरण ने बंद किए हुए हैं। इस वजह से ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण क्षेत्र के गांवों के किसान प्राधिकरण के नकारात्मक रवैया से बहुत आहत है । इन किसानों का तो यहां तक भी कहना है कि जिस उम्मीद से गौतम बुध नगर में सभी सीटों पर भाजपा का भगवा लहराया था उसके अनुरूप ग्रामीण क्षेत्र की जनता की उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है ।
किसानों द्वारा प्राधिकरण पर बार-बार धरना दिए जाने के बाद भी प्राधिकरण के अधिकारी एसआईटी जांच के बहाने किसानों की समस्याओं पर बेरुखी अपना रहे हैं । जिससे गौतम बुध नगर के किसानों में दिन प्रतिदिन रोष बढ़ता ही जा रहा है । जिन पुश्तैनी काश्तकारों की भूमि को लीजबैक किए जाने के प्रस्ताव प्राधिकरण की बोर्ड बैठकों में भी पारित किए जा चुके हैं ऐसे किसान प्राधिकरण के चक्कर काट काट कर थक चुके हैं । गौतमबुध नगर स्थित तीनों प्राधिकरण क्षेत्र के किसान प्राधिकरण के उच्चाधिकारियों की तानाशाही के कारण त्राहि-त्राहि कर रहे हैं ।कोरोना की वजह से घोषित लॉक डाउन से पूर्व नोएडा प्राधिकरण के सामने किसानों ने काफी लंबे अरसे तक धरना प्रदर्शन किया। इसी तरह से यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण क्षेत्र के किसान बार-बार अपना असंतोष जाहिर करते रहे हैं । लेकिन सत्ता और सरकारें बदलने के बाद भी गौतम बुध नगर के किसानों के हालात और किसानों की समस्याएं जस की तस लंबित है ।
एसआईटी की जांच इतने समय बाद भी पूरी न होने के कारण अब लोगों में गड़बड़ी की आशंका पैदा होने लगी है । लोगों में चर्चा तो यहां तक भी है कि कहीं एसआईटी की जांच में शासन और सत्ता से जुड़े लोग तो प्रभावित नहीं हो रहे हैं । जिनके दबाव की वजह से एसआईटी अपनी जांच रिपोर्ट देने में देरी कर रही हो ? क्योंकि ऐसे कुछ गैर पुश्तैनी प्रभावशाली काश्तकारों की अर्जन मुक्त की गई भूमि स्थानीय बाशिंदों की भी नजरों में हैं जो सत्ता से जुड़े हुए हैं । अगर ऐसे लोगों की भूमि को एसआईटी ने भी जांच के दायरे में नहीं लिया तो गंभीर शिकायतें होने का अंदेशा बना हुआ है । वैसे भी गौतमबुध नगर स्थित प्राधिकरणों में गड़बड़ घोटाले होना आज तक आम बात रही है जिन महा घोटालों की वजह से बड़े बड़े अधिकारी भी जेल की सलाखों के पीछे बंद हैं। किसानों में चर्चा ए आम तो यहां तक भी है कि भ्रष्टाचार, गैरकानूनी कार्यों और अनियमितता पूर्ण कार्यों के विरुद्ध प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री की जीरो टॉलरेंस के भय से सत्ता में दखल रखने वाले लोगों ने एसआईटी की जांच को ठंडे बस्ते में डलवा दिया है। लेकिन परिस्थितियां जो भी हो एसआईटी जांच रिपोर्ट में विलंब होने की वजह से किसान का गुस्सा सरकार और सत्ता के विरुद्ध बढ़ता ही जा रहा है । क्योंकि इस संबंध में स्थानीय जनप्रतिनिधि भी किसानों को किसी तरह का आश्वासन नहीं दे पा रहे हैं । हालांकि गौतमबुध नगर स्थित तीनों प्राधिकरणों को पहली बार कैग की जांच के दायरे में लाना प्रदेश सरकार का स्वागत योग्य एवं सराहनीय कदम है । जिससे भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया और निविदा प्रक्रियाओं में बरती गई अनियमितताओं की भी पोल खुल सकेगी । लेकिन कैग द्वारा की गई जांच के बाद भी अनियमितता पूर्ण आपत्तियों का खुलासा अभी तक न किया जाना संदेहास्पद नजर आ रहा है । लेकिन अगर सब कुछ ठीक रहा तो जब भी कैग रिपोर्ट का खुलासा होगा तब कई गांवों की भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया पर अनियमितता किए जाने की आपत्ति जनक रिपोर्ट की संभावनाओं को खारिज नहीं किया जा सकता । देखने का विषय यह है कि इन गड़बड़ घोटालों में किन अधिकारियों पर गाज गिरेगी । यह सब शासन सत्ता का खेल है लेकिन किसानों में बढ़ते हुए रोष को देखते हुए आबादी के लीजबैक प्रकरणों की एसआईटी जांच रिपोर्ट अविलंब प्रस्तुत करनी चाहिए ताकि किसानों की प्राधिकरण संबंधी समस्याओं का निस्तारण हो सके । भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टोलरेंस अपनाने वाले प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री महोदय से यह भी अनुरोध है कि किसानों के समस्त मुद्दों को निस्तारित करने के लिए समय सीमा निर्धारित करने का आदेश भी सरकार की तरफ से पारित किया जाए ताकि गौतम बुध नगर का किसान राहत की सांस ले सकें ।
