एसआईटी के अध्यक्ष ने ग्रेटर नोएडा अधिकारियों की खोली पोल
गैर पुश्तैनी काश्तकारों के दबाव में जांच कमेटी को नहीं दिया जा रहा रिकॉर्ड
एसआईटी जांच के कारण लीजबैक न होने से किसान पस्त अधिकारी मस्त
- कर्मवीर नागर प्रमुख
ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के तत्कालीन चेयरमैन डा. प्रभात कुमार के निर्देश पर हुई जांच में सामने आया था कि ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने मूल किसानों की आड़ में बाहरी लोगों को भी लीजबैक का जमकर लाभ दिया था । तत्कालीन चेयरमैन डा. प्रभात कुमार की संस्तुति पर ही शासन ने यमुना प्राधिकरण के सीईओ डा. अरुणवीर सिंह की अध्यक्षता में एसआइटी गठित कर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सभी लीजबैक प्रकरणों की जांच सौंपी थी । 10 जनवरी 2019 को गठित एसआईटी को लगभग 1 वर्ष 10 माह का समय बीत चुका है लेकिन अभी तक एसआईटी अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं कर पाई है। जिस वजह से पुश्तैनी काश्तकारों की आबादी भूमि की लीजबैक प्रक्रिया पर भी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने रोक लगाई हुई है। पुश्तैनी काश्तकार अपनी आबादी भूमि की लीजबैक कराने के लिए लंबे समय से ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों एवं एसआईटी के चेयरमैन को ज्ञापन देकर गुहार लगाते आ रहे हैं।
लेकिन एसआईटी के चेयरमैन डॉ अरुण वीर सिंह के हवाले से अखबारों में प्रकाशित खबर ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों की पूरी तरह से पोल खोल कर रख दी है प्रकाशित खबरों के अनुसार लीजबैक प्रकरणों की जांच कर रही एसआईटी के चेयरमैन डॉक्टर अरुणवीर सिंह का कहना है कि एसआइटी जांच के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से लीजबैक के लाभार्थियों के नाम पते मांग रही है, लेकिन प्राधिकरण के अधिकारी ब्योरा देने में आनाकानी कर रहे हैं। जिसके कारण एसआइटी की जांच पूरी नहीं हो पा रही है। वहीं इसी जांच के चलते किसानों के लीजबैक प्रकरणों पर भी कोई कार्रवाई नही हो पा रही है। एसआइटी अध्यक्ष से किसान कई बार मिलकर जांच जल्द पूरी करने की भी मांग कर चुके हैं। इसके बावजूद भी जांच में तेजी नहीं आ पाई है।
प्रमुख ने कहा कि एसआईटी चेयरमैन के द्वारा दिया गया बयान बड़ा ही दुविधा जनक विषय है कि इसे एसआईटी और ग्रेटर नोएडा अधिकारियों की नूरा कुश्ती कहें या फिर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों का गैर जिम्मेदार और तानाशाही रवैया। लेकिन जो भी है दोनों ही स्थिति में गौतमबुद्ध नगर का किसान पूरी तरह पस्त है और प्राधिकरण के अधिकारी पूरी तरह मस्त नजर आ रहे हैं।
कर्मवीर प्रमुख ने कहा कि अखबारों में प्रकाशित खबरों के हवाले से प्राप्त जानकारी अनुसार ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों के रवैये को देखते हुए एसआइटी अध्यक्ष ने तहसीलदार को निर्देश देते हुए लीजबैक प्रकरणों के लाभार्थियों के नाम व पते उपलब्ध कराने को कहा है। लेकिन एसआईटी के अध्यक्ष का तहसीलदार स्तर के अधिकारियों को निर्देश देने संबंधित बयान भी किसानों के गले उतरने वाला इसलिए नहीं है क्योंकि एसआईटी का गठन उत्तर प्रदेश शासन द्वारा किया गया है। ऐसी स्थिति में एसआईटी के चेयरमैन डॉ अरुण वीर सिंह द्वारा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा जांच में सहयोग न करने की शिकायत भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति पर काम करने वाले प्रदेश के मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाई जानी चाहिए थी। वैसे भी यमुना एक्सप्रेसवे अथॉरिटी के सीईओ डॉ अरुण वीर सिंह सीईओ प्रदेश के मुख्यमंत्री की गुड बुक में होने की वजह से उनके कार्यकाल को दो बार बढ़ाया जा चुका है। इसीलिए एसआईटी चेयरमैन के ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा जांच हेतु रिकॉर्ड उपलब्ध न कराए जाने के लाचारी भरे शब्द किसानों के गले नहीं उतर रहे हैं।
कर्मवीर नागर प्रमुख ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि प्राधिकरण के अधिकारी और लीजबैक प्रकरणों की जांच कर रही एसआईटी गौतमबुद्ध नगर के भोले भाले किसानों के साथ छल कपट का खेल बंद करें, किसानों को गुमराह करना बंद करें और एसआईटी जांच रिपोर्ट अति शीघ्र प्रस्तुत करके पुश्तैनी काश्तकारों की आबादी भूमि की लीजबैक प्रक्रिया प्रारंभ करें। पुश्तैनी काश्तकारों का हक मारकर गैर पुश्तैनी काश्तकारों को लीजबैक का लाभ देने वाले प्राधिकरण अधिकारियों को एसआईटी बेनकाब करके ऐसे अधिकारियों के विरुद्ध तत्काल कारवाई करने की संस्तुति करें। गौतमबुद्ध नगर का मूल किसान अच्छी तरह जान चुका है कि गैर पुश्तैनी काश्तकारों के दबाव में ही जांच में जानबूझकर देरी की जा रही है। घोटाले बाजों को बचाने के कारण गौतम बुद्ध नगर के किसानों के साथ हो रहे अन्याय और इस खिलवाड़ के संबंध में एसआईटी और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों की नूरा कुश्ती के संबंध में भी प्रदेश के मुख्यमंत्री को भी यथा शीघ्र अवगत कराया जाएगा।

