एनसीआर से फॉर्च्यूनर कारें चोरी कर गुजरात और कश्मीर सप्लाई करने वाला गैंग गिरफ्तार, हाईटेक तकनीकों का कर रहे थे इस्तेमाल।
नोएडा पुलिस ने एक बड़े अंतरराज्यीय वाहन चोर गैंग का खुलासा किया है। यह गैंग हाइटेक तरीके से लग्जरी गाड़ियों की चोरी करता था। उसके बाद यह गिरोह उन गाड़ियों का फर्जी दस्तावेज तैयार कर उन्हें एनसीआर से बाहर ले जाकर बेचते थे। खासकर ये गिरोह चोरी की महंगी कारों को जम्मू-कश्मीर और गुजरात में ले जाते थे। ये पूरी योजनाबद्ध तरीके से चोरी की वारदातों को अंजाम देते थे। संपर्क में रहने के लिए यह गैंग इंटरनेट कॉलिग का उपयोग करते थे। अब तक इस गिरोह ने नोएडा से ही 50 से ज्यादा गाड़ियों की चोरी की है। पुलिस ने इस गिरोह से 10 लग्जरी कारें, दो लाख रुपये नगद, प्रेस और सेंट्रल गवर्नमेंट का स्टीकर तथा दूसरी चीजें बरामद की है।
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मंगलवार को पुलिस ने इस बारे में मीडिया को जानकारी दी। पुलिस ने बताया कि यह वाहन चोर नोएडा सेक्टर-70 में एक पीजी में एक साल से ठहरे हुए थे। यहीं से यह लोग अपना गिरोह चला रहे थे। पुलिस उपायुक्त (जोन द्वितीय) राजेश एस ने बताया कि, ''28 दिसंबर की रात को थाना सेक्टर-58 के प्रभारी अनिल कुमार ने एक सूचना के आधार पर सेक्टर-61 के पास से आठ वाहन चोरों को गिरफ्तार किया। पकड़े गए वाहन चोरों में मुरादाबाद के रहने वाले मोहम्मद आसिफ पुत्र जरीफ अहमद, मोहम्मद आमिर, कुलदीप कुमार वर्मा, हाथरस का रहने वाला मनोज पाल, संभल निवासी मोहम्मद हसन, राजकोट, गुजरात का रहने वाला रवि सोलंकी, श्रीनगर, जम्मू कश्मीर का रहने वाला मोहम्मद अशरफ भट्ट, आगरा निवासी राजेश शर्मा उर्फ पंडित को गिरफ्तार किया है।
पुलिस उपायुक्त ने बताया कि वाहन चोरों के पास से पुलिस ने एनसीार के विभिन्न जगहों से चोरी की गई चार फॉर्च्यूनर कार, एक क्रेटा कार, एक डस्टर कार, एक होंडा सिटी कार और दो स्विफ्ट कार बरामद की है। पूछताछ के दौरान पुलिस को पता चला है कि ये लोग चोरी के वाहनों के फर्जी आरसी तैयार कर उनके असली चेसिस और इंजन नंबर मिटा देते थे। बाद में फर्जी इंजन व चेसिस नंबर बनाकर गाड़ियों की खरीद-फरोख्त करते थे।
पुलिस उपायुक्त ने बताया कि, ''वाहन चोर सेक्टर-70 स्थित एक पीजी में एक वर्ष से ठहरे हुए थे। इनके पास से पुलिस ने दो लाख रुपये नगद, फर्जी आरसी, प्रेस के दो स्टीकर, दो प्रेस आईडी कार्ड, एक गवर्नमेंट ऑफ इंडिया के सहायक कमिश्नर का आईडी कार्ड, 74 चाबियां, ड्रिल मशीन और लॉक खोलने में इस्तेमाल की जाने वाली मशीन बरामद की है। इस गिरोह के लोग जम्मू कश्मीर और गुजरात से फ्लाइट से दिल्ली आते थे। यहां से चोरी के वाहनों को चला कर वहां ले जाते थे। जाते समय यह वाहनों पर प्रेस और भारत सरकार का फर्जी स्टीकर लगा लेते थे। इससे पुलिस चेकिंग के दौरान यह बच निकलते थे।
फॉर्च्यूनर की कीमत 4 लाख और डस्टर 1.50 लाख में
यह गिरेाह चोरी की फॉर्च्यूनर कारों को चार लाख रुपये, स्विफ्ट को एक लाख, डस्टर और होण्डा सिटी को डेढ़ लाख तथा इनोवा कार को दो लाख रुपये में बेचते थे। यह गैंग 2017 से कारों की चोरी कर रहा था। अब तक ये 100 से ज्यादा कारों की चोरी कर चुके हैं। सिर्फ नोएडा से ही 50 से अधिक कार चोरी की है। गिरोह का मुख्य सरगना असलम है। वह फिलहाल गाजीपुर जेल में बंद है।
इंटरनेट कॉल से संपर्क में रहते थे
यह गिरोह बचने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करता था। आपस में बातचीत के लिए यह गैंग इंटरनेट कॉल का उपोयग करते थे। क्योंकि यह गैंग सिम का इस्तेमाल नहीं करता था, पुलिस के लिए इनका पता लगा पाना मुश्किल था। इस गैंग ने कई मीडिया संस्थानों और कई सरकारी पदों के फर्जी आईडी कार्ड रखे थे। आरोपी चोरी की कारों पर प्रेस या केंद्र सरकार का स्टीकर लगाकर बाहर निकलते थे। पुलिस को आरोपियों से दो प्रेस स्टीकर, दो प्रेस आईडी कार्ड, सहायक कमिश्नर का आईडी कार्ड बरामद हुआ है।
चेसिस और इंजन नंबर उत्तराखंड में बदलते थे
यह गैंग उत्तराखंड के काशीपुर स्थित रियाजूद्दीन उर्फ रियाज से चोरी के कारों का इंजन और चेसिस नंबर बदलवाते थे। इसके बाद गाड़ियों को गुजरात में मोहम्मद इलियास, जम्मू कश्मीर में मोहम्मद असरफ भट्ट और उसके बेटे इम्तियाज भट को बेचते थे।
फर्जी आरसी तैयार करते थे
चोरी की गाडियों का फर्जी कागज तैयार करना इलियास और इम्तियाज के जिम्मे था। ये दोनों फर्जी आरसी तैयार कराकर असरफ और रवि सोलंकी को रुपये देकर यूपी भेज देते थे। रवि एक ड्राइवर है। वह चोरी की गाड़ियों को अहमदाबाद और जम्मू-कश्मीर के लखनपुर बार्डर पर छोड़ आता था।
फर्जी आरसी बनाने के बाद वारदात को अंजाम देते थे
इलियास, मोहम्मद असरफ भट्ट और इम्तियाज डिमांड के मुताबिक गाड़ियां ऑर्डर करते थे। इनकी फर्जी आरसी पहले से तैयार कर व्हाट्सएप पर भेज देते थे। इंजन और चेसिस नंबर बदलने के लिए यह फाइनेंस कंपनी के कर्मचारियों से मिलीभगत करके बेकार हो चुकी गाड़ियों के चेसिस और इंजन नंबर लेते थे। उन्हीं नंबरों को चोरी की गाड़ियों में लगाते थे।
स्कैनर टैब से डाटा स्कैन करता था सरगना
यह गैंग अत्याधुनिक तकनीक की मदद से कारों की चोरी करता था। सरगना सेंसर बेस्ड कारों का डाटा स्कैन कर लेता था। बाद में दूसरी चाबी बनाकर कार चोरी करते थे। आरोपी हसन ऑटो में घुम कर लग्जरी कारों की रेकी करता था। फिर शीशा तोड़ कर यह गैंग सारा डेटा और पासवर्ड पेन ड्राइव में ट्रांसफर कर लेते थे। इसके बाद आरोपी एक्सेस लेकर दूसरी चाबी बना लेते थे। हसन पहले भी काशीपुर से जेल जा चुका है।