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जिले में शस्त्र लाइसेंस की जांच में नही होगा फर्जीवाड़ा।


जिले में शस्त्र लाइसेंस आवेदनों की जांच में अब पुलिस व प्रशासनिक कर्मचारी खेल नहीं कर सकेंगे। न तो वह पाजिटिव रिपोर्ट लगाने के लिए पैसे की मांग कर सकेंगे और न ही पैसा न मिलने पर उल्टी रिपोर्ट लगा सकेंगे। आवेदनों की रिपोर्ट में चल रहे धंधे को समाप्त करने के लिए जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय ने योजना तैयार कर ली है।  


जिलाधिकारी कर सकते है आवेदक को औचक फोन।

योजना के तहत अब प्रशासनिक कर्मियों को आवेदनों के संबंध में डाटा तैयार करना होगा। इस डाटा में आवेदक की जानकारी समेत उसका मोबाइल नंबर दर्ज किया जाएगा। जिलाधिकारी औचक किसी भी नंबर पर फोन कर आवेदक से जानकारी प्राप्त करेंगे कि उन्हें रिपोर्ट लगवाने में किसी प्रकार की परेशानी तो नहीं हुई या उनसे किसी प्रकार का पैसा तो नहीं मांगा गया। इस संबंध में जिलाधिकारी ने निर्देश जारी कर दिए हैं।


प्राप्त जानकारी के अनुसार लोग शस्त्र लाइसेंस बनवाने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हैं। पूर्व में जिलाधिकारी ने आपरेशन क्लीन के तहत शस्त्र लाइसेंस के आवेदनों की जांच में बड़ा घोटाला पकड़ा था। पुलिस-प्रशासन ने आवेदनों की जांच के दौरान ऐसे लोगों को लाइसेंस देने की संस्तुति कर दी जो इसके लिए अपात्र थे और उन्हें लाइसेंस की आवश्यकता नहीं थी। जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय ने आवेदनों की औचक जांच कराई तो इस तरह के 17 मामले पकड़ में आए थे। 


इसके बाद जिलाधिकारी ने यह योजना तैयार की है। इस योजना के तहत एक प्रारूप तैयार कराया जा रहा है। इसमें तहसीलवार कर्मचारियों को शस्त्र लाइसेंस के संबंध में विभिन्न प्रकार की जांच रिपोर्ट की सूची तैयार करनी होगी। इसमें आवेदक की जानकारी के साथ उसका मोबाइल नंबर भी दर्ज कर उन्हें सौंपना होगा। वह किसी भी आवेदक को अचानक फोन कर उनसे जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। यदि आवेदक को किसी भी प्रकार से परेशान किया गया, या उससे अनुचित मांग होनी पाई गई तो संबंधित के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह है लाइसेंस आवेदन की जांच प्रक्रिया


शास्त्र लाइसेंस के लिए आवेदक का आवेदन कलक्ट्रेट में जमा करने के बाद एक जांच पुलिस को जाती है, जबकि दूसरी जांच तहसील को जाती है। पुलिस विभाग में संबंधित चौकी, थाना, सीओ, एसपी सिटी, डीसीआरबी, एलआइयू से जांच होने के बाद एसएसपी के माध्यम से प्रशासन को रिपोर्ट भेजी जाती है। इसी प्रकार लेखपाल, अमीन, रजिस्ट्रार कानूगो, नायाब तहसीलदार, तहसीलदार से रिपोर्ट तैयार होकर एसडीएम के माध्यम से जिलाधिकारी के पास पहुंचती है। जांच रिपोर्ट लगाने में मोटा खेल चलता है। इस खेल को समाप्त करने के लिए जिलाधिकारी ने यह योजना तैयार की है।


क्या कहते है अजय शंकर पांडेय, जिलाधिकारी गाजियाबाद।

पूर्व में शस्त्र लाइसेंस के आवेदन के संबंध में शिकायतें मिली थीं। इसके साथ ही डेढ़ वर्ष पहले आपरेशन क्लीन में अपात्रों को लाइसेंस की संस्तुति के मामले भी पकड़े गए थे। इसके बाद ही यह योजना तैयार की गई है। इस योजना के बाद शस्त्र लाइसेंस आवेदनों की जांच में पारदर्शिता आएगी और भ्रष्टाचार समाप्त होगा।




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