एमआईएस-सी की चपेट में आ रहे हैं बच्चे, बरते सावधानी, जाने इसके लक्षण
- चार को मिली छुट्टी, वैशाली के अस्पताल में दो का अभी चल रहा उपचार
- संक्रामक नहीं है यह सिंड्रोम, वक्त पर इलाज न मिले तो दे सकता है दिल की बीमारी
24x7 गाजियाबाद न्यूज़
गाजियाबाद।। कोरोना संक्रमण को हराने वाले कई बच्चे मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेट्री सिंड्रोम (एमआईएस-सी) की चपेट में आ रहे हैं। कौशांबी के एक निजी अस्पताल में चार बच्चे इस सिंड्रोम से भी जीत चुके हैं जबकि दो का इलाज चल रहा है। यह सिंड्रोम बच्चों के दिल, लिवर, किडनी, त्वचा, आंख, फेफड़े और आंतों को प्रभावित करता है। सही समय पर उपचार न हो तो यह बच्चों की कोरोनरी आर्टरी को खराब कर पूरी जिंदगी के लिए दिल की बीमारी दे देता है।
कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद जिले में ब्लैक फंगस के कई मरीज सामने आए। ब्लैक फंगस ने डायबिटीज के मरीजों और कोरोना के उपचार के दौरान अधिक स्टेरॉयड लेने वालों को शिकार बनाया। अब कोरोना को हराने वाले बच्चों में मल्टीसिस्टम इंफ्लामेट्री सिंड्रोम के मामले सामने आने लगे हैं। कौशांबी के एक निजी अस्पताल में ऐसे छह बच्चों का इलाज चल रहा था। स्वस्थ होने के बाद इनमें से चार को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। इन बच्चों का इलाज करने वाले डॉ. अजीत कुमार ने बताया कि कोरोना से ठीक होने वाले लोगों में हृदय संबंधित बीमारियां बढ़ रही हैं। बच्चों में मल्टी सिस्टम इंफ्लामेट्री सिंड्रोम सामने आया है। यह कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद का लक्षण है। समय से इलाज न मिले तो यह घातक हो सकता है। यह बीमारी संक्रामक नहीं है।
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इम्यूनिटी खत्म कर दिल-किडनी व लिवर पर करता है हमला
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ सुरेंद्र आनंद का कहना है कि मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेट्री सिंड्रोम रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित करने वाली बीमारी है। यह बीमारी इसलिए खतरनाक है क्योंकि यह बच्चों के हार्ट, लीवर, किडनी, त्वचा, आंख, फेफड़ा और आंतों को प्रभावित करती है। कई बार तो बच्चों के हार्ट की कोरोनरी आर्टरी को खराब हो जाती है और पूरी जिंदगी के लिए बीमारी लाइलाज बीमारी मिल जाती है। कोरोना संक्रमण से ठीक होने के दो से छह सप्ताह के बाद मुख्य रूप से 20 वर्ष से कम उम्र के लोगों में यह बीमारी होती है। बच्चों को तेज बुखार आ जाता है। बच्चों के शरीर का तापमान 101 डिग्री फॉरेनहाइट से ऊपर होता है।
यह हैं एमआईएस के लक्षण:
- 101 डिग्री से ऊपर बुखार होना
- शरीर पर कहीं खुजली होना
- त्वचा का गुलाबी होना।
- आंखों में खुजली का होना
- थकान, गर्दन व पेट में दर्द होना
- उल्टियां, ब्लड प्रेशर कम हो जाना
- हृदय गति प्रभावित होना।
- अचानक दौरे पड़ना या बेहोश हो जाना
- बच्चे को बुखार हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं
डॉ. सुरेंद्र के मुताबिक एमआईएस-सी से पीड़ित बच्चे को तत्काल अस्पताल में भर्ती कराना जरूरी है। जिन बच्चों में इस बीमारी के लक्षण हैं, उनके परिजन डॉक्टर को यह बताएं कि क्या बच्चा पहले कोरोना से पीड़ित रहा है। अगर बच्चे को तीन दिन से अधिक बुखार रहे तो सचेत होने की जरूरत है। कई बार बच्चों को कोरोना हो जाता है और इसका पता नहीं चलता। ऐसे में ये बीमारी और ज्यादा खतरनाक रूप ले सकती है।
महंगा है इलाज, लेकिन कारगर
डॉ अजीत का कहना है कि पचास फीसदी बच्चों में इसका पता भी नहीं चलता। यह बीमारी इसलिए भी जटिल है क्योंकि लगभग सभी जांच रिपोर्ट नॉर्मल आती है। एंटीबाडी टेस्ट, सीआरपी टेस्ट, ईको जैसे टेस्ट से पता चलता है कि यह एमआईएस-सी है। इस बीमारी में एक लाख से ज्यादा का खर्च आता है। अगर समय से इस बीमारी का पता चल जाता है तो जान आसानी से बचाई जा सकती है।
स्वास्थ्य विभाग को नहीं है जानकारी
डॉ एनके गुप्ता, सीएमओ ने बताया कि पोस्ट कोविड मरीजों में इस बार कई तरह के साइड इफेक्ट आ रहे हैं। बच्चों के एमआईएस-सी बीमारी की चपेट में आने की जानकारी नहीं है।