जिले के 60 से अधिक पुलिस वाले आए जांच के घेरे में
24x7 गाजियाबाद न्यूज़
गाजियाबाद।। उच्चाधिकारियों की तमाम सख्ती के बावजूद कुछ पुलिसकर्मी खाकी की साख को बट्टा लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं। पिछले माह भोजपुर के तत्कालीन थाना प्रभारी प्रदीप कुमार और एसएसआई शकील अहमद ने गोकशी के आरोपी को चाकू में जेल भेजकर खाकी को शर्मसार किया। वहीं, अब लोनी बॉर्डर थाने के थाना प्रभारी विश्वजीत सिंह ने डेढ़ लाख रुपए की रिश्वत में अवैध असलहा के साथ पकड़े गए आरोपियों को छोड़कर महकमे को शर्मिंदा कर दिया है। इस मामले में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने इंस्पेक्टर विश्वजीत सिंह और सिपाही अरविंद को निलंबित किया है। करीब सवा महीने में जिले के दो थाना प्रभारियों के कारनामे लोगों में चर्चा का विषय बने हुए हैं।
बता दें कि गाजियाबाद में पुलिस का दामन भ्रष्टाचार के धब्बे से दागदार रहा है। सितंबर 2019 में गाजियाबाद पुलिस एकाएक उस वक्त सुर्खियों में आई थी जब लिंक रोड थाने की तत्कालीन थाना प्रभारी समेत सात पुलिसकर्मियों के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज हुआ था। पुलिस अभी इस कारनामे से उबर नहीं पाई थी कि चंद दिनों बाद ही इंदिरापुरम थाने के थाना प्रभारी दीपक शर्मा और दो दरोगाओं के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज हुआ। इन पर होटल में दबिश के दौरान रिश्वत लेकर जुआरियों को छोड़ने का आरोप लगा था। गाजियाबाद पुलिस पूरे प्रदेश में उस वक्त फिर से चर्चा में आ गई जब इन दोनों थाना प्रभारी समेत सभी 10 पुलिसकर्मियों पर 25-25 हजार रुपये का इनाम घोषित हुआ।
हाल फिलहाल की बात करें तो पिछले माह भोजपुर थाने के थाना प्रभारी और एसएसआई ने गोकशी के आरोपी को रिश्वत लेकर चाकू में जेल भेजा था। पुलिस इस घटना से उबर नहीं पाई थी कि लोनी बॉर्डर थाने के थाना प्रभारी विश्वजीत ने शादी में अवैध असलहा लेकर आए मेरठ के दो युवकों को पकड़ लिया और डेढ़ लाख रुपये लेकर उन्हें छोड़ दिया। कारनामा उजागर होने पर एसएसपी अमित पाठक ने एसएचओ और थाने के सिपाही अरविंद को निलंबित कर दिया। साथ ही विभागीय जांच के आदेश भी दिए गए हैं।
60 से अधिक पुलिसकर्मियों की संगीन आरोपों में चल रही जांच।
जनपद में पुलिसकर्मियों पर भ्रष्टाचार व अन्य मामलों की जांच की फेहरिस्त काफी लंबी है। 60 से अधिक पुलिसकर्मियों की जांच लंबित है। इनमें सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर तक शामिल हैं। किसी पर भ्रष्टाचार का आरोप है तो किसी पर विवेचना में मनमानी करने का। इसके अलावा किसी पुलिसकर्मी पर अवैध हिरासत में रखने का तो किसी पर आरोपी को छोड़ने का। इन पुलिसकर्मियों की जांच सीओ और एडिशनल एसपी के अलावा अभिसूचना इकाई से भी कराई जा रही है।
40 दिन बाद भी फरार इंस्पेक्टर-दरोगा गिरफ्तार नहीं
भ्रष्टाचार के मामले में निलंबन के बाद मुकदमा दर्ज हुए 40 दिन बीत चुके हैं लेकिन पुलिस भोजपुर थाने के फरार इंस्पेक्टर प्रदीप कुमार और दरोगा शकील अहमद को गिरफ्तार नहीं कर पाई है। लोगों में चर्चा है कि दोनों आरोपी पुलिसकर्मियों को राहत पहुंचाने का काम किया जा रहा है। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि आरोपियों की तलाश की जा रही है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अमित पाठक का कहना है कि भ्रष्टाचार या अन्य आरोप साबित होने पर संबंधित पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।