जाने शहीद लेफ्टिनेंट भरत सिंह कसाना के बारे में
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| शहीद लेफ्टिनेंट भरत सिंह कसाना |
स्वाधि की पहाड़ियों पर स्थित एक रेलवे पुल पर पाकिस्तानी सेना काबिज थी। दो रेजीमेंट भरसक प्रयास के बाद भी पुल को अपने कब्जे में नहीं ले पा रहे थे। इस दौरान वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के निर्देश पर प्लाटून कमांडर भरत सिंह कसाना के नेतृत्व में डोगरा रेजीमेंट की एक प्लाटून ने मोर्चा संभाला और पाकिस्तानी सेना को मुंहतोड़ जवाब दिया। बड़ी संख्या में पाक सैनिक को मौत के घाट उतारा और उक्त रेलवे पुल पर कब्जा कर लिया, पर रेलवे पुल को कब्जा मुक्त कराते हुए कमांडर भरत सिंह कसाना और उनके 16 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए। कमांडर भरत सिंह कसाना की शहादत को शायद ही देश कभी भूला पाएगा। वीर चक्र प्राप्त भरत सिंह कसाना की बदौलत डोगरा रेजीमेंट को स्वाधि डे बैटल ऑनर सम्मान भी मिला। हर वर्ष इस सम्मान में रेजीमेंट में चार दिन तक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
जनपद गाजियाबाद के लोनी अंतर्गत ग्राम जावली के मूलरूप निवासी शहीद लेफ्टिनेंट भरत सिहं कसाना का परिवार हापुड़ में मेरठ रोड स्थित संजय विहार आवास विकास कॉलोनी में रहता है। उनकी पत्नी निर्मल कसाना और बड़े भाई प्रोफेसर महेंद्र सिंह परिवार के साथ रहते हैं। निर्मल कसाना विवाह के दो साल बाद ही भरत सिंह कसाना के शहीद होने पर विधवा हो गईं थीं, लेकिन उन्होंने दूसरा विवाह नहीं किया और परिवार के साथ सादगी से जीवन व्यतीत कर रही हैं। इस समय वह नोएडा में रह रही हैं।
प्रोफेसर महेन्द्र सिंह कसाना बताते हैं कि उनके छोटे भाई भरत सिंह कसाना शिक्षा ग्रहण करने के बाद सेना में लेफ्टिनेंट चुने गए थे। उनका प्रशिक्षण ओटीएस मद्रास में जनवरी 1971 में पूरा होने के बाद डोगरा रेजीमेंट में तैनाती मिली थी। वह काफी होनहार और जांबाज सैन्य अधिकारी के रूप में उभरे थे। पूर्वी पाकिस्तान से 1971 में युद्ध हो जाने के बाद वहां के शाहपुर जिले में स्वाधि की पहाड़ियों पर एक रेलवे पुल पर कब्जा करने के लिए दो मराठा रेजीमेंट ने भरसक प्रयास किया, लेकिन भारी नुकसान के बाद भी कब्जा नहीं मिला।
इस पर वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के निर्देश पर डोगरा रेजीमेंट की एक प्लाटून कमांडर लेफ्टिनेंट भरत सिंह कसाना के नेतृत्व में वहां 4 दिसंबर 1971 को दिन के बारह बजे भेजी गई। उक्त पहाड़ी पर पाकिस्तानी फौज का कब्जा था तथा स्थित कारगिल जैसी थी। इस प्लाटून ने जमकर मोर्चा लेते हुए बड़ी संख्या में पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतारकर शेष सैनिकों को वहां से खदेड़ दिया और उक्त पहाड़ी और रेलवे पुल पर कब्जा कर लिया, लेकिन दुर्भाग्य से इस जंग में लेफ्टिनेंट भरत सिंह कसाना और 16 जवान शहीद हो गए।
इस सूचना पर शहीद लेफ्टिनेंट भरत सिंह कसाना के परिवार के सदस्यों पर मानो पहाड़ टूट पड़ा था, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। बाद में शहीद लेफ्टिनेंट भरत सिंह कसाना को सरकार ने वीर चक्र से सम्मानित किया। इतना ही नहीं तत्कालीन राष्ट्रपति ने डोगरा रेजीमेंट को स्वाधि डे बैटल ऑनर सम्मान दिया।

