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महज 2 कुर्सी के दम पर सबसे पीछे रहकर भी जिपं अध्यक्ष की दौड़ में भाजपा


महज 2 कुर्सी के दम पर सबसे पीछे रहकर भी जिपं अध्यक्ष की दौड़ में भाजपा

24x7 ग़ाज़ियाबाद न्यूज़

गाजियाबाद। जिला पंचायत सदस्यों का निर्वाचन पूरा होने के बाद अब अध्यक्ष पर पाने के लिए बिसात बिछ गई है। जिला पंचायत चुनाव में सबसे ज्यादा पांच वार्ड में बसपा के प्रत्याशी जीते हैं, इसके आधार पर अध्यक्ष पद पर सबसे मजबूत दावेदारी बसपा की है। रालोद और सपा के साथ गठबंधन के समीकरण बन सकते हैं। दूसरी ओर महज दो सदस्यों के दम पर भाजपा के पदाधिकारी भी अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज होने का दावा कर रहे हैं। पूर्व का इतिहास भी देखा जाए तो जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर ताजपोशी प्रदेश की सत्ता के इशारों पर ही होती रही है।


14 सदस्यों वाली गाजियाबाद जिला पंचायत पर इस बार सबसे ज्यादा पांच सदस्य बसपा के जीते हैं। सपा और रालोद के खाते में तीन-तीन सीटें आई हैं। लोनी ब्लॉक की दो सीटों पर भाजपा को जीत मिली है, जबकि एक सीट पर भाजपा से निष्कासित प्रदीप कसाना की पत्नी परमिता ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल की है। अब जीते हुए यही 14 सदस्य अपने बीच में से ही किसी एक सदस्य को अध्यक्ष के रूप में चुनेंगे। अध्यक्ष बनने के लिए 8 सदस्यों का समर्थन जरूरी है। बसपा के पास 5 सदस्य है, ऐसे में उसे महज 3 अन्य सदस्यों के बाहरी समर्थन की जरूरत है। 


भाजपा को अध्यक्ष पद से दूर रखने के लिए विपक्षी दल एकजुट हो सकते हैं, हालांकि अभी इस पर किसी भी दल की ओर से कोई बयान जारी नहीं किया है। अंदरूनी तौर पर जरूर प्रयास शुरू हो गए हैं। रालोद या सपा का साथ मिला तो अध्यक्ष पद की कुर्सी बसपा के खाते में जा सकती है। वहीं, रालोद और सपा भी अध्यक्ष पद पर दावेदारी कर रही हैं। उनका कुर्सी पाने का समीकरण क्या होगा, उसका खुलासा अभी नहीं किया गया है। 

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राजनीतिक दलों के तौर पर सबसे कम सीटें पाने वाली भाजपा संख्या बल में भले ही कम हो, लेकिन आत्मविश्वास में कम नहीं है। कई राज्यों में पूर्ण बहुमत न मिलने के बावजूद सरकार बना लेने वाली भाजपा के पदाधिकारी जिला पंचायत में भी अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज होने का दावा कर रहे हैं। भाजपा की ओर से जीते दो सदस्यों में से पूर्व जिलाध्यक्ष बसंत त्यागी की पत्नी ममता त्यागी की दावेदारी भी मजबूत रहेगी। वहीं ईश्वर मावी की पुत्रवधू की ओर से भी दावेदारी की तैयारी की जा रही है। हालांकि अभी पार्टी स्तर से मंथन होना बाकी है।


प्रदेश की सत्ता के साथ ही चलती है जिला पंचायत की गाड़ी

गाजियाबाद में जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी हमेशा प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी पर ही रही है। इससे पहले लक्ष्मी मावी भी भाजपा की ओर से ही जिला पंचायत अध्यक्ष रही है। हालांकि इस बार पार्टी ने उनका टिकट काट दिया था। इससे पहले सपा सरकार के शासनकाल में पूर्व मंत्री आशु मलिक के भाई नूरहसन अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज रह चुके हैं।


प्रदीप कसाना का निष्कासन वापस ले सकती है भाजपा।

लोनी ब्लॉक क्षेत्र के वार्ड-12 से जिला पंचायत सदस्य पद पर जीतीं परमिता कसाना के पति प्रदीप कसाना को चुनाव से पहले भाजपा ने पार्टी से निष्कासित कर दिया था। प्रदीप ने अपनी पत्नी परमिता को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़वाया और जीत हासिल की। इस सीट पर सीधे भाजपा को नुकसान हुआ है। भाजपा परमिता को टिकट देती तो पार्टी की स्थिति और मजबूत होती। पार्टी में चर्चा है कि प्रदीप कसाना का निष्कासन निरस्त कर उन्हें फिर से पार्टी में लिया जा सकता है। यानी निर्दलीय सदस्य परमिता को भाजपा में लाकर पार्टी पदाधिकारी अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी थोड़ी और मजबूत कर सकते हैं।


बोले पार्टी पदाधिकारी

वीरेंद्र जाटव, बसपा जिलाध्यक्ष ने बताया बसपा के पास सबसे ज्यादा पांच सदस्य है। जल्द ही सभी जीते हुए सदस्यों की बैठक बुलाई जाएगी और अध्यक्ष पद के लिए मंथन किया जाएगा। मजबूत सदस्य को अध्यक्ष पद के लिए मैदान में उतारा जाएगा।

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