अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन की कोरोना के चलते हुई मौत, एम्स में था भर्ती
![]() |
| सौजन्य से सोशल मीडिया |
24x7 ग़ाज़ियाबाद न्यूज़
हमसे यूट्यूब पर जोड़ने के लिए सब्सक्राइब करें
अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन, जोकि कोरोना से संक्रमित था, जिसको अप्रैल के आखरी सप्ताह ने इलाज हेतु दिल्ली एम्स अस्पताल में भर्ती करवाया था। जहाँ शुक्रवार को छोटा राजन की मौत हो गई।
61 साल के छोटा राजन को 26 अप्रैल को एम्स में भर्ती किया गया था। वर्ष 2015 में गिरफ्तारी और फिर इंडोनेशिया के बाली से प्रत्यर्पण के बाद से छोटा राजन, हाई सिक्युरिटी वाले तिहाड़ जेल में था। वर्ष 2018 में छोटा राजन को पत्रकार ज्योतिर्मय डे की हत्या के मामले में दोषी पाते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी। जर्नलिस्ट डे की वर्ष 2011 में हत्या हुई थी।
छोटा राजन का मूल नाम राजेंद्र निकलजे था। उसके खिलाफ हत्या और जबरन वसूली सहित करीब 70 मामले दर्ज थे। इन सभी केसों को सीबीआई को ट्रांसफर किया गया था और स्पेशल कोर्ट का गठन किया गया था।
नायर गैंग से शुरू हुई क्रिमिनल लाइफ, कहलाने लगा छोटा राजन
डॉन छोटा राजन का असली नाम राजेंद्र सदाशिव निखलजे है। उसका जन्म मुंबई के चेंबूर इलाके की तिलक नगर बस्ती में हुआ था। स्कूल छोड़ने के बाद छोटा राजन मुंबई में फिल्म टिकट ब्लैक करने लगा। इसी बीच वह राजन नायर गैंग में शामिल हो गया। अंडरवर्ल्ड की दुनिया में नायर को 'बड़ा राजन' के नाम से जाना जाता था।
बदलते समय के साथ राजेंद्र (छोटा राजन) बड़ा राजन का करीबी बना और उसकी मौत के बाद गैंग का सरगना बन गया। छोटा राजन जब फरार था, तब उस पर भारत में 65 से ज्यादा क्रिमिनल केस दर्ज हो चुके थे। ये मामले अवैध वसूली, धमकी, मारपीट और हत्या की कोशिश के थे। उस पर 20 से ज्यादा लोगों के मर्डर का आरोप लगा। वह जर्नलिस्ट ज्योतिर्मय डे की हत्या में दोषी पाया गया है। इसी मामले में उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।
दाऊद की दोस्ती ने बढ़ाई ताकत, 1993 ब्लास्ट के बाद हुई दुश्मनी
राजन नायर गैंग में काम करते हुए उसे छोटा राजन बुलाया जाने लगा। इसी दौरान अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से उसकी जान-पहचान हुई। दाऊद के साथ आने के बाद उसका क्राइम ग्राफ बढ़ गया था। दोनों साथ मिलकर मुंबई में वसूली, हत्या, स्मगलिंग जैसे काम करने लगे। 1988 में राजन दुबई चला गया।
इसके बाद दाऊद और राजन दुनियाभर में गैर कानूनी काम करने लगे, लेकिन बाबरी कांड के बाद 1993 में जब मुंबई में सीरियल बम ब्लास्ट हुए तो राजन ने अपनी राह अलग कर ली। जब उसे पता चला कि इस कांड में दाऊद का हाथ है, तो वह उसका दुश्मन बन बैठा। उसने खुद को दाऊद से अलग करके नया गैंग बना लिया। 27 साल फरार रहने के बाद छोटा राजन को नवंबर 2015 में इंडोनेशिया से भारत लाया गया।
