कोरोना योद्धा रूपी सरकारी कर्मियों के महंगाई भत्ता भुगतान पर पुनर्विचार करे सरकार ।
- कर्मवीर नागर
प्रदेश अध्यक्ष
संचार निगम एग्जीक्यूटिव एसोसिएशन उत्तर प्रदेश पश्चिम।
संचार निगम एग्जीक्यूटिव एसोसिएशन उत्तर प्रदेश पश्चिम।
सरकार द्वारा आगामी वर्ष 2021 के जुलाई माह तक केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता फ्रिज करने का आदेश इस वक्त सरकारी महकमे के कर्मचारियों का मनोबल तोड़ने के समान है। ऐसा ही कदम प्रदेशों की सरकारों ने भी उठाना शुरू कर दिया है। जब एक तरफ पुलिस, मेडिकल विभाग, बी.एस. एन. एल. विभाग, सफाई कर्मचारी, विद्युत विभाग, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग जैसे अन्य बहुत से महकमों के अधिकारी एवं कर्मचारी कोरोना जैसी जानलेवा वैश्विक महामारी को समाप्त करने के लिए दिन रात लड़ाई लड़ रहे हैं। ऐसे में सरकारी कर्मियों के लिए अतिरिक्त आर्थिक सहायता देने की बजाय महंगाई भत्ते के भुगतान पर रोक लगाना सरकार का उचित कदम करार नहीं दिया जा सकता है । इस वक्त महंगाई भत्ते रोकने के सरकारी आदेश से सभी महकमो के सरकारी कर्मचारी आहत है । इन विषम परिस्थितियों में महंगाई भत्ता रोकने के आदेश सभी के लिए जहर का घूंट पीने के बराबर है। लेकिन समय और परिस्थितियों के अनुसार इस समय विरोध करना देश हित में उचित नहीं समझा जा रहा हैं । हम पुरजोर मांग करते हैं कि सरकार को महंगाई भत्ता रोकने के निर्णय पर स्वतः ही पुनर्विचार करना चाहिए और कोरोना योद्धा रूपी सरकारी कर्मियों का महंगाई भत्ता तत्काल भुगतान करने हेतु आदेश पारित किया जाना चाहिए। ताकि सभी सरकारी कर्मी कोरोना युद्ध में दुगनी ताकत लगाकर लोगो का जीवन बचाने के लिए लड़ाई लड़ सकें ।
जहां सरकार का छोटे, मझोले और बड़े उद्योगों को आर्थिक राहत और रियायत देने का प्रयास स्वागत योग्य कदम है वही दूसरी तरफ कोरोना जैसे जानलेवा युद्ध में लड़ाई लड़ने वाले और इमानदारी से आयकर देने वाले सरकारी कर्मचारियों की जेब से महंगाई भत्ता निकालना सरकार का कदम कतई उचित नहीं है। लॉक डाउन की वजह से सभी लोग घरों में कैद हैं, रोजगार के अन्य साधन बंद हैं, ऐसे में अगर किसी परिवार में एक व्यक्ति ही सरकारी महकमे में कार्यरत तब अकेले कमाने वाले व्यक्ति के महंगाई भत्ता रोकने के निर्णय पर सरकार को पुनः विचार करना चाहिए।
महंगाई भत्ता फ्रीज करने के आदेश जारी होने के बाद सभी सरकारी महकमे के कर्मचारियों में इस बात की चर्चा आम हो चली है कि सरकार को ऐसी तमाम योजनाओं और परियोजनाओं को इस संकट के समय बंद कर देना चाहिए जिससे देश के आर्थिक हालातों पर बहुत अधिक बोझ पड़ रहा है और इन योजनाओं और परियोजनाओं की देश को भी बहुत ज्यादा जरूरत नहीं है। सरकारी कर्मी तो सरकार का वह एक आज्ञाकारी सिपाही है जिसे किसी भी वक्त किसी भी रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है । लेकिन जब वह युद्ध के मोर्चे पर डटा हुआ है ऐसे में आर्थिक रूप से मनोबल तोड़ना कतई उचित नहीं है। कल तक हम जिन सरकारी कर्मियों की सेवाओं का गुणगान करते हुए नहीं थक रहे थे जिनकी कुशलक्षेम के लिए हम तालियां और थालियां बजा रहे थे जिनको अतिरिक्त वेतन दिए जाने की भी आम जनता मांग कर रही थी । ऐसे में युद्ध से लड़ रहे इन सरकारी कर्मियों का महंगाई भत्ता फ्रिज करने के आदेश ने सरकारी महकमे के कर्मचारियों को मानसिक आघात पहुँचाया है । यह भी सरकार के लिए सोचने का विषय है कि उस वक्त महंगाई भत्ता फ्रिज किया गया है जब हर व्यक्ति बाजार में किसी भी सामान को महंगी दरों पर खरीद रहा है । इसलिए सरकार को महंगाई भत्ता रोकने के आदेश पर पुनर्विचार करते हुए कोरोना योद्धाओं को महंगाई भत्ता समय से भुगतान करना चाहिए।
