गौतम बुध नगर में पंचायत अथवा नगर निगम गठन के लिए फिर लिखा गया पत्र।
लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर की तर्ज पर चुनाव कराने का सरकार करें आदेश अन्यथा जाएंगे कोर्ट।
प्रभावित हो सकते हैं कानपुर, लखनऊ और गोरखपुर के चुनाव - कर्मवीर नागर प्रमुख
उत्तर प्रदेश में इस वर्ष के अंत तक होने वाले पंचायतों के पुनर्गठन का समय जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है जनपद गौतम बुध नगर के इंडस्ट्रियल टाउनशिप घोषित गांवों में पंचायतों के चुनाव की मांग जोर पकड़ती जा रही है। चुनाव कराने की मांग को लेकर जनता में उठ रही आवाज के संबंध में कर्मवीर नागर प्रमुख ने एक बार फिर से देश के प्रधानमंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर अवगत कराया है।
कर्मवीर नगर प्रमुख ने पत्र के जरिए बताया है कि सन 2015 मे जनपद गौतम बुद्ध नगर के 287 गांवों में ग्राम पंचायतों का चुनाव न कराए जाने से गांवों में विकास कार्य बिल्कुल ठप पड़ गए हैं। गांव में पंचायत प्रतिनिधि न होने की वजह से गांव के गरीब और आम आदमी की समस्या सुनने को कोई तैयार नहीं है। केंद्र एवं राज्य सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु कोई नोडल अधिकारी इन गांवों में आज तक तैनात नहीं किया गया है। इंडस्ट्रियल टाउनशिप घोषित होने के बाद म्युनिसिपल सेवाओं की कानूनी रूप से उत्तरदाई तीनों प्राधिकरणों की लापरवाही और तानाशाही ने इन गांवों का विकास पूरी तरह से अवरुद्ध कर दिया है । इन गांवों का आम आदमी पूरी तरह से भ्रमित है कि उसकी समस्याओं का निस्तारण स्थानीय प्रशासन करेगा या प्राधिकरण। इन प्राधिकरणों की लापरवाही इस बात से स्पष्ट हो जाती है कि प्राधिकरण क्षेत्र के गांवों में देश के प्रधानमंत्री की सबसे महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत अभियान को भी प्राधिकरण अधिकारियों ने गंभीरता से नहीं लिया है। प्राधिकरण के इन अधिकारियों की लापरवाही इस बात से साबित हो जाती है कि प्रधानमंत्री जन आरोग्य स्वास्थ्य योजना के तहत बनने वाले गोल्डन कार्ड के पात्रों का चयन भी इन गांवों में प्रॉपर तरीके से नहीं हो पाया है। इन गांवों के तालाब गंदगी से भरे पड़े हैं लेकिन प्राधिकरण की आंखें बिल्कुल बंद है।
दूसरी तरफ जनपद गौतम बुद्ध नगर के स्थानीय जनप्रतिनिधि भी प्राधिकरण की समस्याएं बताने पर लाचार और बेबस नजर आते हैं। पंचायतों के चुनाव के मुद्दे पर भी स्थानीय जनप्रतिनिधियों का कोई ठोस जवाब नहीं है। कर्मवीर नागर प्रमुख ने प्राधिकरण अधिकारियों पर आरोप लगाया कि नया भूमि अधिग्रहण बिल 2013 जनपद गौतमबुद्ध नगर के गांवों को इंडस्ट्रियल टाउनशिप घोषित करने का एकमात्र षड्यंत्र था ताकि ग्रामीण क्षेत्र होने के कारण किसानों को भूमि का मुआवजा सर्किल रेट का चार गुना ना देना पड़े। प्राधिकरणों का यह षड्यंत्र पूर्ण आर्थिक उत्पीड़न अंग्रेज शासनकाल से कम नहीं है। आज भी तीनों प्राधिकरण किसानों का शोषण करने पर तुले हुए हैं। किसानों की आबादी भूमि के मामले एसआईटी जांच के बहाने निस्तारित नहीं किए जा रहे हैं। गैर पुश्तैनी काश्तकारों की भूमि अर्जन मुक्त करने की जांच करने वाली जिस एसआईटी का गठन लगभग 6 माह की अवधि में रिपोर्ट देने के लिए किया गया था उसने 1 साल 5 माह बीत जाने के बाद भी एसआईटी की जांच रिपोर्ट तो नहीं दी है बल्कि इसके बहाने एसआईटी के चेयरमैन की सेवानिवृत्ति की अवधि जरूर बढ़ गई है।इस आशंका से कतई इंकार नहीं किया जा सकता कि एसआईटी की जांच रिपोर्ट देने में विलंब का कारणसत्ता से जुड़े हुए कुछ राजनीतिक और प्रशासनिक प्रभावशाली गैर पुश्तैनी काश्तकारों की भूमि को बचाना है। लेकिन हर गांव का किसान भी एसआईटी में होने वाले इस तरह के घपले पर नजर गड़ाए बैठा है अगर जरा भी घपला किया गया तो भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टोलरेंस की नीति अपनाने वाले प्रदेश के मुखिया के सीधे संज्ञान मैं मामले लाया जाएगा।
तीनों प्राधिकरणों की इस तरह की तानाशाही से तंग आकर ही गौतमबुध नगर की आम आवाम पंचायत चुनाव की मांग कर रही है। वैसे भी जब कानपुर लखनऊ और गोरखपुर में औद्योगिक प्राधिकरण होने के बावजूद ग्राम पंचायत और नगर निगम के चुनाव हो सकते हैं तब गौतम बुध नगर के औद्योगिक प्राधिकरण क्षेत्र के गांव और सिटी क्षेत्र में चुनाव में कराया जाना एक ही प्रदेश में कानून की समानता का द्योतक है। अगर सरकार चुनाव कराने का निर्णय नहीं लेती है तो इस संबंध में है कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया जाएगा। और अगर गौतम बुध नगर प्राधिकरणों के अधिकारियों द्वारा चुनाव के संबंध में सरकार को गुमराह करने का सिलसिला जारी रहा तो मामला कोर्ट में जाने पर प्रदेश में कानून की समानता के आधार पर कानपुर, लखनऊ और गोरखपुर आदि औद्योगिक प्राधिकरण क्षेत्र भी प्रभावित हो सकते हैं।



