गौतमबुद्ध नगर इंडस्ट्रियल टाउनशिप घोषित गांवों में पंचायत/ नगर निगम गठन के संबंध में राजनीतिक दल स्पष्ट करें मंशा
आम जनता में चुनाव की बेताबी से बड़े आंदोलन की आहट
इंडस्ट्रियल टाउनशिप घोषित गांवों में सन 2015 में पंचायतों का गठन नहीं होने से के इन गांवों के वाशिंदो को विगत 5 साल के दरम्यान हर तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा है ! इसी वजह से इंडस्ट्रियल टाउनशिप घोषित गांवों में पंचायत चुनाव अथवा विकल्प के तौर पर निगम निगम गठन की मांग जोर पकड़ती जा रही है ! जनपद गौतमबुद्धनगर का युवा को आम जनमानस पंचायत चुनाव कराने के पक्ष में लामबंद होती जा रही है ! इंडस्ट्रियल टाउनशिप घोषित होने के बाद इन गांवों के लोगों ने विकास का जो सपना देखा था लेकिन प्राधिकरण अधिकारियों की गांवों के प्रति खराब मानसिकता के कारण विकास का सपना देखना कोरी कल्पना साबित हुआ है !
कहने को तो इन गांवों को इंडस्ट्रियल टाउनशिप घोषित कर दिया गया है लेकिन विकास के नजरिए से देखे तो प्राधिकरण क्षेत्र के टाउनशिप घोषित गांवों में और सिटी क्षेत्र में जमीन आसमान का अंतर साफ नजर आता है ! औद्योगिक विकास प्राधिकरणों द्वारा किसानों की जमीनों को कौड़ियों के भाव हड़पने के लिए इन गांवों को इंडस्ट्रियल टाउनशिप घोषित करने का षडयंत्र रचा गया और जमीनों को सस्ती दरों पर हडप कर इन गांवों को इनके हाल पर बदहाल छोड़ दिया गया है ! गांव के चौतरफा प्राधिकरण द्वारा विकसित की जा रही कालोनियां ने गांवों को सीमा में कैद कर दिया है ! प्राधिकरण के अधिकारियों की खराब मानसिकता और गांव के बाशिंदों के प्रति दुर्भावना वश इंडस्ट्रियल टाउनशिप को शहरी और देहात के रूप में विभाजित कर दिया गया है ! जिन गांवों के किसानों की बेशकीमती जमीनों को कौड़ियों के भाव लेकर उस पर गगनचुंबी इमारतें, बड़े-बड़े पार्क, खेल के मैदान और आधुनिक सुविधाओं सहित चमचमाती सड़कें बनाई जा रही है वहीं 30 साल पहले सन 1991 को अधिसूचित किए गए गांवों में में प्राधिकरण द्वारा लोगों के लिए सामुदायिक केंद्र, पार्क और खेलने के मैदान जैसी मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराना तो बहुत दूर बात है आज तक इन ग्राम वासियों को पेयजल आपूर्ति, सीवरेज व्यवस्था और कूड़ा उठाने तक की कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है ! यहां तक कि जहां एक तरफ सिटी क्षेत्र में सफाई कर्मियों द्वारा कॉलोनियों की सड़कों की रोज सफाई की जाती है वहीं दूसरी तरफ गांव में सफाई कर्मी यदा-कदा नजर आते हैं !
मेरा किसी राजनीतिक दल अथवा नेता को आरोपित करने का तो कोई इरादा नहीं है लेकिन सरकार कोई भी रही हो मूलभूत समस्याओं के समाधान हेतु प्राधिकरण अधिकारियों पर दबाव में बनाए जाने की उदासीनता को जरूर देखा गया है ! इन्हीं वजहों से अब गांवों में पंचायत अथवा नगर निगम गठन की मांग जोर पकड़ती जा रही है ! मूलभूत समस्याओं के समाधान के लिए जागृत हो चुका युवा अब गौतम बुध नगर के इंडस्ट्रियल टाउनशिप घोषित गांवों में भी लोकतंत्र की पहली इकाई की बहाली चाहता है ! अगर गौतमबुद्ध नगर के युवा और आम जनमानस की इस मांग को अनदेखा किया गया तो हो सकता है कि आगामी 2022 के विधानसभा चुनाव में गौतमबुधनगर में पंचायत अथवा नगर निगम के गठन का मुद्दा और प्राधिकरण द्वारा उत्पीड़ित किसानों का मुद्दा अहम मुद्दा बनकर उभरे ! इसलिए पंचायत पुनर्गठन अथवा नगर निगम के गठन के मुद्दे पर चुप्पी तोड़ते हुए राजनीतिक दलों को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए ! इंडस्ट्रियल टाउनशिप घोषित गांवों के लोगों की पंचायत पुनर्गठन अथवा नगर निगम गठन कि इस जायज मांग को मानकर चुनाव कराने का निर्णय नहीं लिया गया तो लॉक डाउन समाप्ति के बाद जनता द्वारा बड़ा आंदोलन किया जाना संभव है !
