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गौतमबुद्ध नगर में पंचायत चुनाव के मुद्दे पर स्थानीय जनप्रतिनिधि चुप क्यों ?


कानपुर, लखनऊ, गोरखपुर औद्योगिक प्राधिकरण क्षेत्र में चुनाव का पेश करें उदाहरण !  - कर्मवीर नागर प्रमुख 

गौतमबुद्ध नगर में पंचायत चुनाव के मुद्दे पर स्थानीय जनप्रतिनिधि चुप क्यों ?

 गौतमबुद्ध नगर में पंचायत अथवा नगर निगम के गठन की मांग का बिगुल बजना प्रारंभ हो गया है ! इंडस्ट्रियल टाउनशिप घोषित गांवों के लोग लोकतंत्र की पहली इकाई ग्राम पंचायतों के गठन न कराए जाने से खासे नाराज हैं ! गौतमबुद्ध नगर में चुनाव बहाली के लिए युवाओं का जोश सातवें आसमान पर है ! यूपी इंडस्ट्रियल एक्ट 1976 नाम पर गौतमबुद्ध नगर के ग्रामीणों को लोकतंत्र के मौलिक अधिकारों से वंचित करना और लखनऊ कानपुर व गोरखपुर में औद्योगिक प्राधिकरण होने के बावजूद ग्राम पंचायत एवं नगर निगम का चुनाव कराया जाना प्रदेश में दोहरी नीति का स्पष्ट प्रमाण है ! प्रदेश में यूपी इंडस्ट्रियल एक्ट 1976 को समान रूप से लागू न भारतीय संविधान की मूल अवधारणा के विरुद्ध है ! प्रदेश में सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले जिले के लोगों को पंचायत राज व्यवस्था से वंचित करना बहुत बड़ा अन्याय है !    

गौतमबुद्ध नगर में पंचायत चुनाव के मुद्दे पर स्थानीय जनप्रतिनिधि चुप क्यों ?

          समूचा जनपद गौतमबुद्ध नगर पंचायत चुनाव के रूप में लोकतंत्र की बहाली की मांग कर रहा है ! लेकिन ऐसे गंभीर मुद्दे पर भी स्थानीय जनप्रतिनिधियों की चुप्पी समझ से परे है ! पिछले 5 वर्ष में जनपद गौतमबुद्ध नगर में ब्लॉक प्रमुख व जिला पंचायत अध्यक्ष के पदों पर चुनाव न होने से भी बहुत से सवाल खड़े होना स्वाभाविक है ! जिला पंचायत का गठन कराए बगैर जिला पंचायत को सरकार से प्राप्त होने वाली  विकास निधि को खर्च करने के लिए प्रस्ताव प्राप्त करना भी एक बहुत बड़ा सवाल है कि आखिर किसके प्रस्तावों पर जिला पंचायत विकास निधि खर्च की जा रही है ? कुछ लोगों का तो यह तक मानना है कि जिला पंचायत विकास निधि से विकास कार्य कराए जाने का श्रेय लेने की होड़  ने ही जिले में जिला पंचायत और ब्लाक प्रमुख पदों के चुनाव पर विराम लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है ! अगर इस बात में सच्चाई है तो जिला पंचायत विकास निधि को मनमाफिक प्रस्तावों पर खर्च करना ही चुनाव न होने का मूल कारण है ! जो कि गौतमबुद्ध नगर के ग्रामीण क्षेत्र  के साथ बहुत बड़ा अन्याय है ! गौतमबुद्ध नगर के लगभग 287 गांवों में विधायक से नीचे के पायदान का कोई जनप्रतिनिधि नहीं होने के कारण आम जनता बहुत परेशान हैं ! गांवों में समस्त विकास कार्य अवरुद्ध हो गए हैं! सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन बंद हो गया है ! इन गांवों में नोडल अधिकारियों के नियुक्ति के अभाव में पात्र लोगों को भी सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है ! इंडस्ट्रियल टाउनशिप घोषित गांवों में समस्त म्युनिसिपल सेवाएं देने का उत्तरदायित्व प्राधिकरणों का होने के बावजूद प्राधिकरण के अधिकारी गांवों की तरफ नजर उठाकर भी नहीं देखना चाहते ! ऐसे में इंडस्ट्रियल टाउनशिप घोषित गांवों का बेहाल होना स्वाभाविक है ! 

     लेकिन अब गौतमबुद्ध नगर की जनता ने अपने हकों के लिए जुबान खोलना शुरू कर दिया है! पंचायत गठन के विषय पर अगर क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी तो अब जनता बोलेगी और पोल खोलेगी ! अगर जनपद गौतमबुद्धनगर में पंचायत चुनाव बहाल नहीं कराए गए तो पंचायत पुनर्गठन की मांग को लेकर प्रदेश में लागू दोहरी नीति के विरुद्ध ऐतिहासिक आंदोलन होगा !
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