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गैर पुश्तैनी काश्तकारों की लीज बैक प्रकरण की एसआईटी जांच में देरी से ग्रेटर नोएडा के किसान हुए सरकार के आर्थिक राहत पैकेज से वंचित।

नियमों के दायरे में भूखंडों पर किसान कर सकते थे छोटे-मोटे धंधे।

पुश्तैनी काश्तकारों की जांच से किसान भय और भ्रम की स्थिति में। - कर्मवीर नागर प्रमुख

गैर पुश्तैनी काश्तकारों की लीज बैक प्रकरण की एसआईटी जांच में देरी से ग्रेटर नोएडा के किसान हुए सरकार के आर्थिक राहत पैकेज से वंचित

गौतमबुध नगर के ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्र के गैर पुश्तैनी काश्तकारों को नियम विरुद्ध की गई भूमि की लीज बैक की जांच के लिए उत्तर प्रदेश शासन द्वारा विशेष जांच समिति (एसआईटी) का गठन जनवरी 2019 में किया गया था। लेकिन लगभग 1 वर्ष 5 माह बीत जाने के बाद अभी तक भी एसआईटी द्वारा जांच रिपोर्ट देने में की जा रही देरी की वजह से पुश्तैनी काश्तकारों की लीजबैक व आबादी निस्तारण के मामले भी लंबित हो जाने से किसानों में भारी रोष है। शासन द्वारा एसआईटी गठन का मुख्य उद्देश्य गैर पुश्तैनी काश्तकारों की अर्जन मुक्त भूमि की जांच करना था । भले ही वह अधिग्रहण प्रक्रिया से पूर्व मुक्त की गई थी अथवा लीजबैक के जरिए मुक्त की गई थी। क्योंकि भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया की धारा 4/17 के प्रकाशन के वक्त और धारा 6/17 के प्रकाशन के वक्त गैर पुश्तैनी काश्तकारों की भूमि भ्रष्टाचार के जरिए बड़ी तादाद में अधिग्रहण प्रक्रिया से मुक्त की गई थी। लेकिन गैर पुश्तैनी काश्तकारों की अधिग्रहण प्रक्रिया की धारा 617 के प्रकाशन से पूर्व मुक्त की गई  भूमि को जांच के दायरे में शामिल न करने से एसआईटी भी जांच के अहम विषय से भटकी हुई प्रतीत हो रही है। 
          इसके विपरीत पुश्तैनी काश्तकारों की लीज बैक को जांच के दायरे में रखकर स्थानीय किसानों की गर्दन पर तलवार लटका कर किसानों में भय उत्पन्न करके भ्रष्टाचार का नया रास्ता खोल दिया है। जिससे पुश्तैनी काश्तकारों में भय और भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है। पुश्तैनी काश्तकारों में कई दिनों से इस बात की विशेष चर्चा है कि आबादी नियमावली 2011 के तहत 3000 वर्ग मीटर भूमि अर्जन मुक्त करने का आधार भूमि का खाता रहेगा अथवा पारिवारिक सदस्यों की संख्या को आधार माना जाएगा। अधिकतम 3000 वर्ग मीटर भूमि छोड़ने की पारदर्शी परिभाषा का किसानों को जानकारी नहीं होने से किसानों में भय एवं भ्रम की स्थिति बनी हुई है। किसानों के भ्रम को दूर करने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकृत अधिकारी अथवा एसआईटी के अधिकृत अधिकारी द्वारा इस संबंध में स्थिति स्पष्ट की जानी चाहिए और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी संबंधित अधिकारियों से इस बिंदु पर विचार विमर्श करके वास्तविक स्थिति से अवगत करा के किसानों में व्याप्त भय एवं भ्रम की स्थिति को दूर करना चाहिए। किसान संगठनों को भी इस संबंध में किसान हित का संदेश एसआईटी को दे देना चाहिए।  
              एसआईटी द्वारा जांच रिपोर्ट देने में की जा रही देरी से ग्रेटर नोएडा का किसान कोरोना संकट के दौरान केंद्र एवं राज्य सरकार के लघु एवं मझोले उद्योगों के लिए दिए गए आर्थिक सहायता पैकेज से वंचित हो गया है क्योंकि  किसान अपनी भूमि की लीज बैक करा कर नियमों के दायरे में छोटे-मोटे धंधे इस भूमि पर कर सकता है। ऐसे में एसआईटी को अपनी जांच रिपोर्ट तत्काल प्रस्तुत करनी चाहिए ताकि कोरोना वैश्विक महामारी में आर्थिक संकट से जूझ रहे किसानों को सरकार द्वारा घोषित आर्थिक सहायता पैकेज के तहत रोजगार के अवसर प्राप्त करने में आसानी हो सके।
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