एसआईटी जांच रिपोर्ट में देरी से ग्रेनो के किसान आक्रोशित। किसानों के सब्र की परीक्षा लेना बंद करें और लीजबैक प्रक्रिया प्रारंभ करें प्राधिकरण - कर्मवीर नागर प्रमुख
ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्र के गांवों में गैर पुश्तैनी काश्तकारों की भूमि की नियम विरुद्ध की गई लीजबैक की जांच के लिए शासन द्वारा गठित एसआईटी द्वारा जांच रिपोर्ट देने में हो रही देरी से किसानों के सब्र का बांध टूटता जा रहा है ! ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्र के किसान पूरी तरह से आक्रोशित हैं ! एसआईटी जांच में देरी से रिपोर्ट में गड़बड़ी होने की आशंकाओं का बाजार गर्म हो चला है ! किसानों को आशंका है कि भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति पर चलने वाली सरकार में भी नियम विरुद्ध लाभ अर्जित करने वाले प्रभावशाली लोगों के दबाव में एसआईटी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने में जान पूछ कर देरी की जा रही है ! तभी तो 10 जनवरी 2019 को हुए एसआईटी गठन के लगभग डेढ़ वर्ष बीत जाने के बाद भी एसआईटी किसानों को यह बताने को तैयार नहीं कि जांच रिपोर्ट कब तक प्रस्तुत की जाएगी ! यहां तक कि एसआईटी के चेयरमैन की एक वर्ष बढ़ी हुई कार्य अवधि भी 30 जून 2020 को समाप्त होने जा रही है !
अब ऐसा प्रतीत होने लगा है कि गैर पुश्तैनी काश्तकारों की भूमि की लीजबैक जांच के लिए शासन द्वारा गठित एसआईटी द्वारा पुश्तैनी काश्तकारों को भी जांच के दायरे में शामिल करना कहीं ना कहीं प्रभावशाली गैर पुश्तैनी काश्तकारों को लाभान्वित करने का कोई नया खेल है ! लेकिन एसआईटी और ग्रेनो प्राधिकरण के उच्च अधिकारियों को आगाह करना चाहेंगे कि गांवों के किसानों ने भी गैर पुश्तैनी काश्तकारों की अर्जन मुक्त की गई जमीनों का डाटा खंगालना प्रारंभ कर दिया है ! एसआईटी द्वारा प्रस्तुत जांच रिपोर्ट में किसी भी प्रकार का भेदभाव, अनियमितता और खामी के पाए जाने पर सरकार के संज्ञान में लाने के लिए किसान भी पूरी तरह से तैयारी में जुटे है !
एसआईटी की जांच रिपोर्ट के बहाने पुश्तैनी काश्तकारों की लीज बैक प्रक्रिया को लंबित करना किसानों के साथ बहुत बहाने बड़ा अन्याय है ! अगर किसानों की भूमि की लीजबैक हो चुकी होती तो वर्तमान कोरोना संकट में सरकार द्वारा दिए गए विशेष आर्थिक पैकेज का लाभ उठाकर किसान भी अपने रोजी रोजगार की व्यवस्था हेतु इस भूमि पर छोटा-मोटा धंधा स्थापित कर सकते थे ! गौतम बुद्ध नगर स्थित तीनों औद्योगिक विकास प्राधिकरण की किसान विरोधी मानसिकता इस बात से स्पष्ट जाहिर होती है कि वर्ष 2011 में बनी आबादी नियमावली 10 साल बीत जाने के बाद भी वर्ष 2021 तक भी अमल में नहीं लाई जा सकी है ! पिछले दिनों अमल में लाने की जिस घोषणा को बड़ी उपलब्धि मानते हुए हम जश्न मनाते नजर आ रहे थे !
किसान संगठनों को आगे आकर सरकार को अवगत कराना चाहिए कि गौतमबुद्ध नगर के किसानों ने पूर्व में सत्तासीन रहे राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों को चुनाव के वक्त नकारते हुए भाजपा के प्रत्याशियों को भारी मतों से इसलिए जिताने का काम किया था ताकि गौतमबुद्ध नगर के तीनों प्राधिकरणों में किसानों की समस्याओं का निस्तारण समय से हो सके ! लेकिन हर सत्ता और सरकार की भांति इस बार भी प्राधिकरण के उच्च अधिकारी किसानों के मामलों में सरकार को गुमराह करने में कामयाब होते नजर आ रहे हैं ! किसानों के मुद्दों और समस्याओं के प्रति प्राधिकरण के अधिकारी गंभीर नहीं है ! इसलिए गौतमबुद्ध नगर के किसान प्राधिकरण के अधिकारियों के इस रवैए से अत्यंत आक्रोश में है ! गौतमबुद्ध नगर स्थित तीनों प्राधिकरणों द्वारा उत्पीड़ित किसान कोरोना संकट के बाद आर पार की लड़ाई की तैयारी में है ! इसलिए आगाह करना चाहेंगे कि प्राधिकरण अधिकारी किसानों के सब्र की परीक्षा लेना बंद करें ! किसानों के मुद्दों का तत्काल निस्तारण किया जाए ! एसआईटी अपनी जांच रिपोर्ट तत्काल प्रस्तुत करें ताकि किसानों की भूमि की लीजबैक प्रक्रिया प्रारंभ हो सके !

