गौतम बुद्ध नगर में पंचायत राज व्यवस्था बहाली जनहित में।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा गांवों के विकास के दावे की आरटीआई ने खोली पोल - कर्मवीर नागर प्रमुख
जनपद गौतम बुद्ध नगर में पंचायत राज व्यवस्था बहाली की मांग लंबे अरसे से उठ रही है। जिसका मुख्य कारण तीनों औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में विकास कार्यों का ठप्प हो जाना है। ग्राम पंचायत पुनर्गठन न कराए जाने के कारण पिछले 5 वर्षों में तीनों प्राधिकरण क्षेत्र के गांवों की बदहाली जगजाहिर है। इन गांवों में केंद्र और राज्य की समस्त जन कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन का कोई इंतजाम आज तक नहीं किया गया है। गांव के पात्र लोग सरकार की आर्थिक सहायता प्रदान करने वाली योजनाओं का लाभ लेने से वंचित है। इसके अतिरिक्त जिन किसानों की जमीनों पर प्राधिकरण ने अपनी योजनाएं विकसित की हैं उन किसानों के मूल गांवों में और विकसित कॉलोनियों में विकास कार्यों का भेदभाव स्पष्ट नजर आता है। ग्रेटर नोएडा औद्योगिक प्राधिकरण द्वारा गांवों के साथ विकास कार्यों में किए जा रहे भेदभाव और हीला हवेली की पोल आरटीआई ने खोल कर रख दी है।
कर्मवीर नागर प्रमुख द्वारा ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण से जन सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी से बड़ा खुलासा हुआ है कि "वर्ष 2019- 20 के अनुमोदित बजट के अनुसार विलेज डेवलपमेंट के मद में रूपया 200.00 करोड़ अनुमोदित था, जिसमें से रुपया 45.82 करोड़ खर्च किए गए।"
आरटीआई में मांगी गई जानकारी से यह भी स्पष्ट खुलासा हुआ है कि विलेज डेवलपमेंट के लिए "वित्तीय वर्ष 2020- 21 का बजट अभी माननीय बोर्ड से अनुमोदन नहीं हुआ है ।" वित्तीय वर्ष प्रारंभ होने के 4 माह बीत जाने के बाद भी विलेज डेवलपमेंट के लिए बजट का अभी तक अनुमोदन नहीं किया जाना प्राधिकरण की ग्राम विरोधी मानसिकता को दर्शाता है।
सरकार के विभिन्न विभागों और मंत्रालयों से क्षेत्र के विकास हेतु धनराशि स्वीकृत कराने के साथ-साथ गांवों के विकास हेतु प्राधिकरण के अनुमोदित बजट जैसे संवेदनशील विषय पर भी स्थानीय जनप्रतिनिधियों को उसी तरह गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है जिस तरह जिला पंचायत की विकास निधि पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों की गंभीरता नजर आती है ।
जनपद में पंचायत राज व्यवस्था समाप्ति के बाद गांव के सर्वांगीण विकास का संपूर्ण उत्तर दायित्व तीनों प्राधिकरण का है। ग्रेटर नोएडा औद्योगिक प्राधिकरण द्वारा विगत वित्तीय वर्ष में विलेज डेवलपमेंट हेतु अनुमोदित 200.00 करोड़ की धनराशि में से मात्र रुपया 45.82 करोड़ विकास पर खर्च करने के बाद अनुमोदित लगभग डेढ़ सौ करोड रुपए की बकाया धनराशि को भी गांवों के विकास पर खर्च न करने की जांच कराई जानी चाहिए और विगत वित्तीय वर्ष की बकाया विलेज डेवलपमेंट की अनुमोदित धनराशि को गांवों के विकास पर खर्च करने के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों को प्राधिकरण अधिकारियों पर दबाव बनाना चाहिए।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों को तीनों औद्योगिक क्षेत्र के गांवों के विकास के प्रति प्राधिकरण द्वारा की जा रही कोताही, अनदेखी और भेदभाव के मद्देनजर जनपद गौतमबुद्ध नगर के गांवों में पंचायत पुनर्गठन अथवा नगर निगम गठन के लिए सत्ता और सरकार को प्राधिकरण की ग्राम विकास विरोधी वास्तविकता से अवगत कराना चाहिए ।
जहां एक तरफ पंचायत राज व्यवस्था में ग्राम पंचायतों को गांव के विकास के लिए प्रति वर्ष विभिन्न मदों में भारी भरकम धनराशि प्राप्त हो रही है वहीं दूसरी तरफ अगर ग्रेटर नोएडा के नोटिफाइड कुल 207 गांवों में विकास कार्यों पर खर्च की गई 45.82 करोड़ की धनराशि को विभक्त किया जाए तो मात्र लगभग 23 लाख रूपए सालाना प्रत्येक गांव के हिस्से में आते हैं। इतनी कम धनराशि में गांव के विकास का सपना संजोना गांव के विकास के प्रति खुली बेईमानी है। इसलिए प्रदेश की सरकार को जनपद गौतम बुद्ध के लोगों की जन भावनाओं और गांवों के विकास के हित में पंचायत पुनर्गठन अथवा विकल्प के तौर पर नगर निगम गठन पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।


