अपने को दूसरे से ऊंचा दिखाने के लिए दो महिलाओं ने ऐसा काम कर दिया जो सुर्खियों में आ गया। एक ही परिवार की दो महिलाएं शराब की दुकान के लिए बोली लगा रही थीं। दोनों ही वर्चस्व की लड़ाई में बोली को बढ़ाती चली गईं। आखिरी बोली 510 करोड़ की लगी। इस रकम ने अधिकारियों के भी होश उड़ा दिए, आखिर ये पूरा मामला है क्या?
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| सौजन्य से aajtak. in |
हनुमानगढ़(राजस्थान) का मामला
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के कुईयां गांव में शराब की दुकान के लिए नीलामी की ऑनलाइन प्रक्रिया चल रही थी। पिछले साल यह दुकान 65 लाख की बिकी थी और इस साल अधिकारियों ने 72 लाख का बेस प्राइस तय किया था। यानी बोली 72 लाख से शुरू होनी थी। शुक्रवार सुबह 11 बजे से शुरू हुई ये नीलामी प्रक्रिया रात दो बजे तक चलती रही। शनिवार हो गया , लेकिन अधिकारी इसे बीच में रोक नहीं सकते थे। आखिरकार बोली लगाने का सिलसिला थमा 510 करोड़ पर। गांव की छोटी सी शराब की दुकान के लिए 510 करोड़ की नीलामी की बात से पूरा आबकारी महकमा हैरान था।
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ऐसा पहली बार हुआ है राजस्थान में
किरण कंवर 510 करोड़ की बोली लगा कर जीत गईं। अब आबकारी विभाग ने उन्हें 3 दिन के भीतर 2 प्रतिशत राशि यानी करीब 10 करोड़ रुपये जमा कराने को कहा है। विभाग के मुताबिक 708 गुना अधिक की ये बोली अभी तक की सबसे बड़ी बोली है। वैसे तो किसी को ऐसा नहीं लगता कि जीतने वाला पक्ष इतनी बड़ी रकम जमा करा पाएगा, लेकिन अगर ऐसा होता है तो ये राजस्थान की सबसे महंगी शराब की दुकान बन जाएगी। हालांकि अगर विजेता ये रकम जमा नहीं करा पाए तो नीलामी को रद्द कर दिया जाएगा और फर्म को ब्लैक लिस्ट कर दिया जाएगा। इसके बाद दोबारा से इस दुकान के लिए नीलामी की जाएगी. फिलहाल तो सबसे ऊंची बोली लगाने वाले के नाम यानी किरण कंवर के पक्ष में अलॉटमेंट लेटर जारी कर दिया है।
2 महिलाओं की आपसी टसन का नतीजा?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एक ही परिवार की दो महिलाएं जो अलग-अलग फर्म से हैं, इस नीलामी में बोली लगा रही थीं और आपसी लड़ाई के चलते जीतने की कोशिश कर रही थीं। परिवार की इस आपसी लड़ाई के चलते बोली की रकम बढ़ती चली गई और 72 लाख की शराब की दुकान आखिरकार 510 करोड़ में नीलाम हुई। आपको बता दें कि नीलामी के लिए एक धरोहर राशि भी बोली लगाने वाला जमा कराता है. अगर विजेता तीन दिन में 2 प्रतिशत राशि जमा नहीं करा पाता है तो धरोहर राशि भी जब्त कर ली जाती है।

