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मैं लोनी हूँ | लोनी बनी लंदन | पेरिस


  • 6 हजार करोड रुपए, खर्च होने के बाद, मैं लोनी से लंदन बनी। विकास का नया मॉडल हूँ मैं।

Ghaziabad News
शुरूआत से आपको मैं बता दू कि मेरे अंतर्गत नगर पालिका परिषद में बीजेपी की सरकार है। इसके साथ, उत्तर प्रदेश में वर्तमान सरकार भी बीजेपी की ही है। इतना ही नही, देश में लगभग 7 वर्षों से भी बीजेपी की ही सरकार है। चेयरमैन, विधायक, सांसद, मंत्री, संतरी के साथ साथ लाखो की तादाद में नेता कार्यकर्ता भी बीजेपी के ही है और तो और जैसा कि क्षेत्र में बताया जाता है कि अधिकतर प्रशासन के अधिकारी भी बीजेपी के सपोर्टटर ही है। ये मैं नही कह रही हूँ, क्षेत्र में इनके नेता व कार्यकताओं द्वारा, सीना चौड़ा कर बताया जाता है। 

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इतना सब होने के साथ साथ देश की राजधानी से मात्र मैं जीरो किलोमीटर पर स्थित हूँ। और देश की सबसे बड़ी नगर पालिका परिषद का खिताब भी हासिल है मुझे। बात मीडिया की भी होनी चाहिये तो आपको बता दे कि देश में मेरे यहाँ से ज्यादा पत्रकार शायद ही कही और हों। सामाजिक संस्थाओं की बात भी होनी चाहिये तो ये भी बड़ी तादाद में भरी पड़ी है। विपक्ष की बात करे तो देश की समस्त पार्टियों का विपक्ष भी मौजूद है। यहाँ अमीर गरीब डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, जज, आईपीएस, आईएएस, आदि सब है।

लोनी बनी लंदन | पेरिस

यहाँ अगर नही है तो, बस पानी की निकासी नहीं है। दावे मुझे 6 माह में लंदन, तो कभी 1 साल मे पेरिस लंदन बना देने के थे और शायद की लोनी में आज तक इतना विकास हुआ हो जितना आप पानी भरा हुआ देख रहे हो। और तो और मेरे यहाँ तो विकास पुरूष तक कि उपाधि से पुकारा जाता है। 
अधिकारीयो की बात करे तो जो साइकिल पर आता है वो यहाँ से बाद लग्जरी गाड़ी में जाता है। भ्रष्टाचार इतना है कि एक अदना सा पटवारी अपने सहायक रहता है और सहायक भी 6 सहायक रखता है। फिर उसके सहायक भी, तीन से चार अन्य सहायक रखता है। उसके बाद 3 से 4 के भी सहायक होते है और इसकी जानकारी अधिकारियों को होती है। उनको दिखाई इसलिए नहीं देता क्योंकि उनको भ्रष्टाचार की आंखें लगी होती है। यह हाल यहां सभी सरकारी विभागों में है। लेकिन फिर मै भी कहती हूँ कि मैं लोनी हूँ। मेरा विकास तो छोडो मेरी वजह से उपरोक्त का विकास तो हो रहा है। मै आज भी वहीं हूँ। जहाँ थी। मेरे के बाद के कई शहर
कस्बे ऐसे है। जहाँ विकास बड़ा होकर। विकसित बन गया है।


एक कहावत है। कि बारा साल बाद तो कूडी के दिन भी बदल जाते है। लगता है ये कहावत। मेरे लिये नहीं है। या फिर गलत है।

क्योंकि यहाँ जनप्रतिनिधि पहले किसी और दल का होता था। तो सरकार किसी और दल की। मैं तब भी रोती थी। मैं अब भी रोती हूँ। अब तो सर के बाल से लेकर पैर के नाखून तक एक ही दल पर सवार हूँ। फिर भी मेरी हालत सुधरी नहीं है। मैं तो बस यही चाहती हूँ कि मेरे अंदर से पानी,
की निकासी कर दी जाए। बाकी तो स्वमं खुद को मैं संवार लूंगी।

मेरी दुख भरी कहानी बहुत बड़ी है। सब कुछ बताने चली तो सैलाब आ जायेगा। बस इतना ही मैं लोनी हूँ। जो सबको देखने के बाद भी सबको अपने अंदर समाहित कर पालती हूँ। क्योंकि सब मेरे है। मैं माँ समान हूँ ना।

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